२००५ में लिखा फिल्म का गीत उन्होंने बताया कि मुजफ्फर नगर से २००२ में निकल गया था और उसके बाद दो साल तक कोई बड़ा काम नहीं मिला, इसके बाद कुछ टीवी सीरियल के लिए लिखने लग गया। २००५ में पहली फिल्म ‘कुडियों का है जमाना’ मिली, यह मल्टीस्टारर फिल्म थी। इसके बाद टीवी शो लिखना बंद कर दिया और इसके बाद स्ट्रगल का नया दौर शुरू हो गया। कुछ साल बाद फिल्मों में मेरे गीत शामिल हुए और एक के बाद एक गीत हिट होते चले गए। आज ३७ फिल्मों के लिए गीत लिख चुका हूं और ‘पद्मावत’, ‘सरबजीत’, ‘वजीर’, ‘बाजीराव मस्तानी’, ‘गुजारिश’, ‘चक्रव्यूह’, ‘डेविड’ जैसी फिल्मों के गीतों को लोग सबसे ज्यादा सराहना करते है।
‘एक दिल है, एक जान है’ गाना दिल के करीब तुराज ने बताया कि ‘पद्मावत’ फिल्म के सभी गाने लिखने का मौका मिला, इसका सॉन्ग ‘एक दिल है, एक जान है’ मेरे सबसे ज्यादा नजदीक है। मैं आज भी अपने गीतों में मोहब्बत के रंग डालने का काम करता हूं। शायराना अंदाज में गीत लिखना बहुत पसंद है, एेसे में मेरे कई गीतों में कुछ शेर भी नजर आते है। वैसे ‘बाजीराव मस्तानी’ का गाना ‘आयत’ का सूफी अंदाज भी मुझे खासा आकर्षित करता है।