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ऐसा संसदीय क्षेत्र जिसकी न नेशनल हाइवे न रेल सेवा से आपस में कनेक्टिविटी

रोड और रेल से बेहतर कनेक्टिविटी जरुरी, प्रयास हुए हैं, लेकिन परिणाम नहीं मिला

जालोरJun 10, 2024 / 09:03 pm

Manish kumar Panwar

ऐसा संसदीय क्षेत्र जिसकी न नेशनल हाइवे न रेल सेवा से आपस में कनेक्टिविटी

जालोर जिले का मानचित्र।

जालोर. जालोर-सिरोही संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत अब सांचौर अलग जिले के रूप में जरुर वजूद में है। लोकसभा चुनाव के बाद अब नई सरकार में नए समीकरण बन रहे हैं, लेकिन इन सभी स्थितियों का दूसरा पक्ष यह भी है कि इस संसदीय क्षेत्र के जिला मुख्यालयों की आपस में बेहतर कनेक्टिविटी नहीं है। सिरोही जिला मुख्यालय को आज तक रेल सेवा का इंतजार है। वहीं जालोर-सिरोही और सांचौर जिला मुख्यालयों की बात करें तो इन क्षेत्रोंं में आपस में कनेक्टिविटी के लिए बेहतर सडक़ों का अभाव है। नई सरकार बन रही है तो राजनीतिक और भौगोलिक स्थितियों में बदलाव के बीच यह विषय भी अहम हो जाता है कि इतने बड़े संसदीय क्षेत्र में बेहतर कनेक्टिविटी का माध्यम क्या रहेगा और इस मुद्दे पर आगे क्या सकारात्मक प्रयास हो सकते हैं।

एनएच का मुद्दा उठा, लेकिन हुआ कुछ नहीं

जालोर-सिरोही संसदीय क्षेत्र की बात करें तो आवाजाही के लिए बेहतर सडक़ों का अभाव है। जालोर से सिरोही तक नेशनल हाइवे की डिमांड मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग कर चुके हैं, लेकिन मुद्दे पर ज्यादा कुछ नहीं हुआ। दूसरी तरफ सिरोही नेशनल हाइवे से कनेक्ट है। जालोर-सिरोही तक हाइवे बन जाता है तो जालोर के ग्रेनाइट उद्योग को भी फायदा होगा और ग्रेनाइट को बड़ी मंडियों तक लाने ले जाने में आसानी होगी। यही स्थिति सांचौर जिले के लिए भी बनती है। यह जिला भारत माला प्रोजेक्ट से भी जुड़ चुका है और गुजरात से सीधा कनेक्ट है, जबकि जालोर-सांचौर की कनेक्टिविटी बेहतर नहीं है।

1526 करोड़ का रेल लाइन सर्वे भी ठंडे बस्ते में

करीब 7 साल पूर्व बागरा से सिरोही के लिए रेलवे लाइन का सर्वे हुआ था। रेलवे की ओर से 1526 करोड़ से अधिक का प्रोजेक्ट रेलवे बोर्ड को भेजा गया था। यह प्रोजेक्ट आज तक कागजों में ही अटका हुआ है। दूसरी तरफ सांचौर जिला मुख्यालय को भी रेल सेवा का लंबे समय से इंतजार है। हालांकि भाभर, सुईगांव संथालपुर रेल लाइन प्रोजेक्ट सर्वे के दौरान रेल सेवा की उम्मीद यहां जगी थी, लेकिन मामला आगे बढ़ा नहीं। जालोर की बात करें तो रेल सुविधा के लिहाज से सिरोही और सांचौर जिले से बेहतर है।

ये कारण है इन जरुरतों के लिए

जालोर-सांचौर जिले में बड़ी मात्रा में जीरे की पैदावार होती है। सांचौर गुजरात का सीमावर्ती जिला है। ऐसे में इस क्षेत्र के किसानों को गुजरात की मंडियों तक आवाजाही में दिक्कत नहीं होती, लेकिन जालोर से गुजरात तक सडक़ मार्ग से पहुंचना मुश्किल काम है। इसलिए सडक़ों की स्थिति में सुधार जरुरी है। देशभर में जालोर से तैयार ग्रेनाइट मंडियों तक पहुंचता है। लेकिन नेशनल हाइवे से जालोर की बेहतर कनेक्टिविटी नहीं होने से यहां तक पहुंचने वाले व्यापारियों को दिक्कत होती है। वहीं बड़ी मंडियों तक ग्रेनाइट पहुंचाना भी आसान काम नहीं होता। हाइवे से कनेक्टिविटी से इस समस्या का स्थायी समाधान संभव है। पर्यटन के लिहाज सिरोही जिला जालोर और सांचौर से आगे है। जालोर तक पर्यटक नहीं पहुंच पाते, इसका प्रमुख कारण हाइवे से कनेक्टिविटी का अभाव है। दूसरी तरफ सिरोही जिले में सालभर पर्यटकों की भरमार रहती है।

इनका कहना

जालोर-सिरोही-सांचौर के लिए नेशनल हाइवे कनेक्टिविटी और पूर्व में सर्वे हो चुके रेल लाइन प्रोजेक्ट की क्रियान्विति के लिए सकारात्मक प्रयास किए जाएंगे। यही नहीं जो भी मुद्दे है और जरुरतें है, उन्हें पूरा करने का प्रयास किया जाएगा। लुंबाराम चौधरी, सांसद
जालोर सीधे तौर पर नेशनल हाइवे से कनेक्ट नहीं है। एक हिस्सा बालोतरा से जरुर जुड़ा है। मैंने जालोर को सिरोही तक नेशनल हाइवे से जोडऩे और रोहिट से जालोर-सांचौर तक नेशनल हाइवे के लिए मांग की है। जोगेश्वर गर्ग, मुख्य सचेतक, राजस्थान सरकार

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