नवरात्र में नैमिषारण्य का हैं विशेष महत्व मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूरी पर स्थित नैमिषारण्य जोकि विश्व का केंद्र भी माना जाता है। मान्यता के मुताबिक यहां भगवान् ब्रहम्मा जी का चक्र गिरा था। इस लिए इसे चक्रतीर्थ के नाम से जाना जाता हैं। नवरात्र के दिनों के अलावा भी यहां पर लोग स्नान करके मां ललिता देवी के दर्शन करने आते है। दूर दूर से आये लोग यहां पर अपने बच्चो का मुंडन कराने के लिए माँ के दरबार में हाजिरी भी लगाते हैं। नवरात्र के दिनों में यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता हैं।
नवरात्र के दिनों में लगता हैं भक्तों का तांता
नैमिषारण्य में 52वां शक्तिपीठ मां ललिता देवी के नाम से जाना जाता हैं। ऐसी मान्यता हैं कि कनखल में एक विशाल यज्ञ का आयोजन हुआ था जहां पर शिव के अपमान से सती माता ने अपना शरीर त्याग दिया था। जिससे माता सती के शरीर के 52 भाग हो गए थे सभी भाग अलग अलग जगहों पर गिरे मां का 52वां भाग नैमिषारण्य में गिरा। जोकि ह्रदय भाग था इसलिए हम इन्हें मां ललिता देवी के नाम से जानते हैं। यहाँ की मान्यता यह भी हैं कि जो भी श्रद्धालु अपनी मनोकामना लेकर आता है माँ उसे खाली हाथ नहीं भेजती और सभी की मनोकामनाएं पूरी होती है।