उल्लेखनीय है कि सिरोही के काकेन्द्रा गांव निवासी भानाराम भील के 4 बेटियां व 2 बेटे सहित 6 बच्चे हैं। जिनमें से 5 से 14 नवम्बर के बीच 10 दिन के अंतराल में ही एक-एक कर तीन बच्चों की मौत हो गई। उसकी एक 13 वर्षीय बेटी पालनपुर गुजरात के जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रही है। जबकि शेष दो बच्चे व पिता के भी बीमार होने से गुरुवार को सिरोही के जिला अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती कराया है। 10 दिन के अंतराल में तीन बच्चों की मौत होने से परिवार पर दु:खों का पहाड़ टूट पड़ा। गांव के लोग तक सहमे हुए हैं।
प्रशासनिक व्यवस्था दम तोड़ चुकी-लोढा
इधर, पूर्व विधायक लोढा ने सीएमएचओ को इस मामले की सूचना देकर मौके पर भेजने के बाद सोशल मीडिया पर ट्वीट किया कि सिरोही के काकेन्द्रा गांव में एक ही आदिवासी परिवार के तीन बच्चों की कुछ दिन के अंतराल में मृत्यु होना व एक बच्ची वेंटिलेटर पर पालनपुर गुजरात में उपचाररत होना सरकार के लिए लज्जा का विषय है। ये पूरी तस्वीर बयां करती हैं कि सिरोही जिले में प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह से दम तोड़ चुकी है। जिला प्रशासन की रात्रि चौपालें, जन सुनवाई, साप्ताहिक बैठकों का जनता से कोई सरोकार नहीं रह गया हैं, न तो प्रशासन को कोई कहने वाला है, न कोई सुनने वाला हैं।सरकारी तंत्र पर उठे सवाल
विडम्बना है कि गांव-गांव में सरकार के कर्मचारी नियुक्त है। चिकित्सा महकमा को डेंगू-मलेरिया जैसी बीमारियों की रोकथाम को लेकर सर्वे व आमजन को जागरूक करने जैसे सख्त निर्देश हैं, इसके बावजूद एक गांव में 10 दिन के अंतराल में परिवार के तीन बच्चों की मौत की खबर नहीं होना सरकारी तंत्र पर कई सवाल खड़े करता है।इन बच्चों की हुई मौत
गोपाल (5 वर्ष) पुत्र भानाराम, आशा कुमारी (2 वर्ष) पुत्री भानाराम, जिया कुमारी (7 वर्ष) पुत्री भानाराम