सिरोही

माउंट आबू की नक्की झील संरक्षण के 6 करोड़ सीवरेज में डूबे, विकास की उम्मीदों पर फिरा पानी

पर्वतीय पर्यटन स्थल माउंट आबू की ऐतिहासिक नक्की झील के कायाकल्प के लिए करीब 19 वर्ष पूर्व राष्ट्रीय झील संरक्षण योजना के तहत 8.80 करोड़ की राशि स्वीकृत हुई तब क्षेत्र के लोगों को विकास की उम्मीदें बंधी थी, लेकिन तत्कालीन जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी से झील का विकास आज तक नहीं पाया

सिरोहीJun 10, 2024 / 10:48 pm

Satya

पर्यटन स्थल माउंट आबू की ऐतिहासिक नक्की झील

माउंट आबू की ऐतिहासिक नक्की झील के कायाकल्प के लिए करीब 19 वर्ष पूर्व राष्ट्रीय झील संरक्षण योजना के तहत 8.80 करोड़ की राशि हुई थी मंजूर, जिसे सीवरेज कार्य में कर दिया खर्च

माउंट आबू. पर्वतीय पर्यटन स्थल माउंट आबू की ऐतिहासिक नक्की झील के कायाकल्प के लिए करीब 19 वर्ष पूर्व राष्ट्रीय झील संरक्षण योजना के तहत 8.80 करोड़ की राशि स्वीकृत हुई तब क्षेत्र के लोगों को विकास की उम्मीदें बंधी थी, लेकिन तत्कालीन जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी से झील का विकास आज तक नहीं पाया। जानकार सूत्रों के मुताबिक स्वीकृत राशि से झील का विकास करने के बजाय सीवरेज कार्य में खर्च कर दी गई। ऐसे में सरकार से राशि मंजूर होने के बावजूद झील के विकास पर पानी फेर दिया गया।

नक्की झील के विकास की यह बनी थी योजना

पालिका सूत्रों की मानें तो राष्ट्रीय झील संरक्षण योजना के तहत केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के अतंर्गत राज्य की नक्की झील, पुष्कर, आनासागर, पिछोला, फतेहसागर को विकास के लिए चयनित किया गया था। जिसके चलते 2004 में केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के अतंर्गतआई.एल.एण्डएफ.एस.ईको सम्राट प्रतिष्ठान की पर्यावरण विशेषज्ञ हरलीन कौर ने यहां आकर नक्की झील विकास को अमलीजामा पहनाने की योजना तैयार करने के लिए अनुबंधित पीडी. कोर संस्थान की ओर से तकमीना तैयार किया।
जिसके अनुसार रसायनिक, बायोलॉजिकल, ऑक्सीजन फव्वारे लगाने, झील की जलराशि भंडारण शुद्धिकरण, झील में पानी कमी की स्थिति में उसके पुनर्भराव को आवाहक्षेत्रों की मरम्मत, साफ-सफाई, ऊपरी पहाड़ी इलाकों में 13 फीडर चेक डैम निर्माण, झील के चारों ओर की पहाडि़यां, उद्यान सौन्दर्यकरण, सघन पौधारोपण, झील के लीकेज, सीपेज से बहने वाले पानी के सदुपयोग को झील के निचली ओर धोबीघाट के समीप बांध बनाकर जलाशय निर्माण, झील के पानी को पीने सहित अन्य किसी उपयोग में न लाने की कारगर व्यवस्था, पानी संतुलन के शुद्धिकरण यंत्र स्थापित करने आदि की योजनाएं थी।

झील के विकास राशि सीवरेज में डूबी

जानकारी के अनुसार 2005 में राष्ट्रीय झील संरक्षण योजना के मद में नक्की झील के विकास के लिए स्वीकृत राशि में से करीब 6 करोड़ की राशि तो 2010 में तत्कालीन अधिकारियों की उदासीनता से सीवरेज कार्य में डूब गई। यानी उक्त राशि सीवरेज योजना के लिए देकर नागरिकों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया गया। जबकि यह राशि केवल झील संरक्षण के लिए स्वीकृत की गई थी। सीवरेज योजना के लिए अलग से पहले चरण में ट्रीटमेंट प्लांट, ट्रेंचलेस टनल, अडंर ग्राउंड लाइन बिछाने सहित कुल 34.36 करोड़ लागत की सीवरेज योजना स्वीकृत थी। जिसमें नक्की संरक्षण योजना की राशि को समायोजित कर दिया गया।

– राशि के दुरुपयोग से लोगों में रोष

झील संरक्षण की राशि का अन्यत्र उपयोग करने की जानकारी मिलने के बाद से आज तक लोगों में भारी रोष व्याप्त है। उनका कहना हैं कि झील के विकास को आए हुए पैसे का किस प्रकार से भारी दुरुपयोग हुआ है उसका नक्की झील एक जीता जागता उदाहरण है। हालांकि नगर सुधार न्यास सूत्रों की माने तो झील में एक सेन्ट्रल जेट फव्वारा लगाया गया था। जबकि हकीकत में तथाकथित फव्वारे का भी कोई उपयोग नहीं हुआ। जिस वजह से उसे बाहर निकालना पड़ा। अभी झील में जो फव्वारे संचालित हो रहे हैं, वे पालिका की ओर से लगाए जाने का पालिका दावा करती हैं।

इधर, झील के विकास के लिए आई राशि में से करीब 6 करोड़ सीवरेज मद में देने के बाद शेष बची राशि को यूआईटी को स्थानांतरित कर सक्षम स्तर पर उन्हें झील संरक्षण की जिम्मेदारी दी जानी बताई गई है, लेकिन कितनी राशि उस पर व्यय की जा चुकी है और क्या-क्या कार्य किए गए, इसकी भी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। जानकारों की माने तो झील संरक्षण का कोई कार्य धरातल पर नहीं हुआ।

जानकारी देने से कतरा रहे जिम्मेदार

यूआईटी की ओर से झील में एक फव्वारा लगाए जाने की बात कही जा रही है। जिसे लगाने के बाद से ही बंद ही पड़ा रहा। इस संदर्भ में कई बार संबंधित एजेंसी से संपर्क करने के बावजूद फव्वारा चालू करने की कोई कार्रवाई नहीं हुई। शेष राशि का क्या उपयोग हुआ है, इसकी किसी के पास जानकारी नहीं है। अधिकारी भी जानकारी देने से कतरा रहे हैं।

इनका कहना है –

राष्ट्रीय झील संरक्षण योजना में 2005 में 8.80 करोड़ राशि माउंट आबू पालिका को स्वीकृत हुई थी। जिसमें से 2010 में करीब 6 करोड़ की राशि उच्चाधिकारियों के निर्देश पर रूडिफ को सीवरेज लाइन बिछाने के लिए दिए जाने की जानकारी मिली है। शेष राशि का क्या उपयोग हुआ, उसका कोई ब्यौरा उपलब्ध नहीं है। जिससे माउंट आबू के बाशिन्दों में भारी रोष है। क्षेत्रीय नवनिर्वाचित सांसद से झील संरक्षण के लिए पुनः राशि उपलब्ध कराने का निवेदन किया जाएगा।
सुनील आचार्य, नेता प्रतिपक्ष, माउंट आबू

राष्ट्रीय झील संरक्षण योजना के तहत नक्की झील के कायाकल्प के लिए जब भारी भरकम राशि मिली थी, तो लोगों में भारी उत्साह देखा गया था। लेकिन पिछले लंबे समय से लोकसभा व विधानसभा का प्रतिनिधित्व करने वाले जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से राशि मिलने के बावजूद भी झील को संरक्षण से महरूम रखा जाना अपने आप में नागरिकों व यहां आने वाले पर्यटकों के साथ नाइंसाफी है। उसके लिए भाजपा प्रतिनिधियों की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए।
नारायण सिंह भाटी, अध्यक्ष, नगर कांग्रेस कमेटी, माउंट आबू

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