आबूरोड. बीस वर्षकी उम्र में ४७० किलो वजन उठाकर भारत को एशिया में स्वर्ण पदक दिलवाने वाले वीरेंद्रसिंह मरकाम अन्य वेटलिटर के लिएभी मिशाल बने हैं। जहां वेटलिटिंग की दुनिया में अधिकतर खिलाड़ी माांसाहार के सहारे वजन उठाने की शक्ति प्राप्त करते हैं, वहीं मरकाम पूर्णशाकाहारी रहते हुए भी दुनिया में देश का नाम रोशन कर रहे हैं।उत्तर प्रदेश के जनजाति समुदाय से होने के बावजूद मरकाम ने न सिर्फएशिया में भारत का प्रतिनिधित्व किया, बल्कि चार पदक जीत कर अपनी केटेगरी में स्वर्ण पदक हासिल किया। आबूरोड के ब्रह्माकुमारी संस्थान में राजयोग के लिए पहुंचे मिरजापुर उत्तरप्रदेश निवासी वीरेंद्रसिंह मरकाम ने पत्रिका के साथ हुईविशेष बातचीत में गत २० से २६ अप्रेल तक होंगकोंग में चली एशियन पॉवर वेट लिटिंग चेपियनशिप के अनुभव व सेहत से जुड़े राज को साझा किया।
मरकाम ने बताया कि यूपी के एक छोटे से इलाके से होने के बावजूद सही मार्गदर्शन की बदौलत ही वह इस मुकाम तक पहुंच पाए। उनके कोच कमलापति त्रिपाठी के मार्गदर्शन में वह रोजाना सुबह शाम तीन-तीन घंटे अयास करते थे।५३ किलोग्राम जूनियर वर्ग में ऑल ओवर 470 किलो भार उठाकर तीन गोल्ड व एक सिल्वर मेडल जीता था। इसमें उन्होंने चीन व इरान के खिलाडिय़ों को परास्त किया।
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