इससे हम पुन: कोविड से पूर्व ऑक्सीजन सिलेंडर पर निर्भरता वाली स्थिति में आ गए हैं। सिलेंडरों के भरोसे वार्डों में भर्ती मरीजों के लिए 24 घंटे ऑक्सीजन आपूर्ति संभव नहीं है। नजदीक में पर्यटन स्थल माउंट आबू व ब्रह्माकुमारी संस्थान होने से आबूरोड में प्रमुख हस्तियों का आवागमन होता रहता है। ऐसे में अस्पताल में चिकित्सा सुविधाएं दुरुस्त रखना बहुत आवश्यक है।
स्थाई तकनीकी कर्मचारी नियुक्ति में अनदेखी
ऑक्सीजन प्लांट के संचालन के लिए स्थाई तकनीकी कर्मचारी लगाना जरूरी है, लेकिन आबूरोड अस्पताल के इस प्लांट का संचालन महीनों तक मानदेय पर अप्रशिक्षित कर्मचारियों ने किया। बीच में मानदेय पर एक प्रशिक्षित कर्मचारी को लगाया, वह भी कुछ समय बाद छोड़कर चला गया। उच्च स्तर से प्लांट संचालन के लिए पर्याप्त बजट आवंटित नहीं होने से मानदेय पर कर्मचारी रखना भी संभव नहीं हो रहा। नतीजतन करीब डेढ़ माह से ऑक्सीजन प्लांट पर ताला लगा हुआ है। यह भी पढ़ें
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अस्पताल के पास 20 सिलेंडर
अस्पताल में करीब 20 ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध है। ऑक्सीजन प्लांट बंद होने के कारण हर समय करीब 10 भरे सिलेंडर की व्यवस्था रखते हैं। इन भरे सिलेंडरों के दम पर सामान्य वार्ड, प्रसूता वार्ड, ऑपरेशन थियेटर, आपातकालीन कक्ष व नवजात शिशुओं की गहन चिकित्सा इकाई में 24 घंटे ऑक्सीजन आपूर्ति संभव नहीं है।एक्स-रे मशीन में भी तकनीकी खराबी
करीब तीन साल पहले अस्पताल में नई डिजिटल एक्स-रे मशीन लगाई गई थी। बताया जा रहा है कि कुछ दिन पूर्व इस मशीन में तकनीकी खराबी के कारण एक्स-रे रिपोर्ट स्पष्ट नहीं आ रही थी। इस बारे में सक्षम स्तर पर शिकायत भी दर्ज करवाई गई। ऑक्सीजन प्लांट संचालन के लिए इस साल मार्च तक का बजट था। कुछ समय हमारे स्टाफ ने प्लांट चलाया। प्लांट में रिपेयरिंग की जरूरत है। रिपेयरिंग होने पर प्लांट शुरू करेंगे। एक्स-रे मशीन में कोई खराबी नहीं है। अच्छी हालत में है।
–डॉ. परमानंद गुप्ता, प्रभारी, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, आबूरोड
–डॉ. परमानंद गुप्ता, प्रभारी, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, आबूरोड