बता दें कि प्रदेश शासन काफी पहले यह सर्कुल जारी कर चुका है कि अब सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को सार्थक एप पर अपनी हाजिरी दर्ज करानी होगी। इसमें ग्रामीण विकास विभाग भी शामिल है। लेकिन लेकिन करीब तीन महीना बीत गया पर अब तक पंचायत सचिव व रोजगार सहायक शासन के निर्देशों की अवहेलना कर रहे थे। कर्मचारियों व अधिकारियों की हीलाहवाली पर सीईओ सख्त हो गए हैं। उन्होंने निर्देश जारी किया है कि एप पर हाजिरी दर्ज न कराने वालों को वेतन महीं मिलेगा।
बता दें कि सार्थक एप पर उपस्थिति लगभग नगण्य दिखाई देने पर वेतन आहरण की समस्या खड़ी हुई है। इसे देखते हुए सीईओ जिपंचायत ने जनपद पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी को आदेश दिया है कि सभी कर्मचारियों का वेतन का भुगतान तभी किया जाए, जब उनकी हाजिरी सार्थक एप पर दिखाई दे।
इस आदेश की जानकारी होते ही पंचायत कर्मियों में हड़कंप मच गया है। वजह ये कि ज्यादातर कर्मचारी, सार्थक एप पर उपस्थिति नहीं दर्ज कर रहे हैं जबकि इसकी मॉनीटरिंग खुद जनपद पंचायत सीईओ प्रमोद ओझा कर रहे हैं। ऐसे में इसमें तिकड़म की भी गुंजाइश नहीं है।
सार्थक एप पर हाजिरी के लिए सचिवों और रोजगार सहायकों को ग्राम पंचायत में जाना पड़ेगा। पंचायत भवन से सौ मीटर की परिधि में ही मोबाइल के माध्यम से एप पर हाजिरी लगाई जा सकती है। लेकिन ज्यादातर सचिव व रोजगार सहायक शहरों में परिवार के साथ रह रहे हैं। लाभार्थियों व सरपंच को शहर में ही बुलाकर कागजों पर हस्ताक्षर कर अपनी ड्यूटी करते आ रहे हैं। लेकिन जबसे सार्थक एप पर हाजिरी लगाने का आदेश आया है वो भी परेशान हैं कि उन्हें रोजाना तैनाती स्थल तक जाना ही होगा।