फिलहाल ढाई महीने बाद अब उसमें तेजी लाए जाने की बात की जा रही है। विद्युत कंपनियों की आवश्यकता के मद्देनजर पर्याप्त मात्रा में कोयला उपलब्ध कराने को लेकर जिले में दो नई खदानों के संचालन की योजना है, लेकिन प्रक्रिया पूरी होने के अभाव में खदानों का संचालन शुरू नहीं हो पा रहा है। लॉकडाउन के पहले अधिकारियों ने उम्मीद जताई थी कि अधिकतम तीन से चार महीने में खदानों में खनन का कार्य शुरू हो जाएगा, लेकिन एक बार फिर सारी योजना पर पानी फिर गया है।
इसकी मुख्य वजह यह है कि लॉकडाउन के दौरान पिछले ढाई महीने से भू-अर्जन से संबंधित प्रक्रिया लगभग पूरी तरह से बंद है। गौरतलब है कि जिले में एपीएमडीसी व टीएचडीसी की ओर से एक-एक कोल खदान शुरू किया जाना है। आंध्र प्रदेश की कंपनी एपीएमडीसी की ओर से शुरू की जाने वाले खदान के लिए देवसर व सरई क्षेत्र के झलरी, डोंगरी, मझौली पाठ, आमाडांढ़, सिरसवाह, बेलवार व बजौड़ी गांवों में भूअर्जन की प्रक्रिया जारी है।
झलरी व मझौली को छोड़कर बाकी के गांवों के विस्थापितों में मुआवजा वितरण जारी था, लेकिन लॉकडाउन के चलते प्रक्रिया बंद हो गई। हालांकि अब इसे जल्द पूरा किए जाने की बात की जा रही है। गौरतलब है कि इन गांवों में 2.5 हजार हेक्टेयर रकबे में खनन का कार्य शुरू किया जाना है। इधर टीएचडीसी की ओर से बरगवां क्षेत्र के पिडऱवाह गांव में खदान के श्रीगणेश संबंधित प्रक्रिया भी अधर में है। टीएचडीसी की ओर से 1600 हेक्टेयर में खदान शुरू किया जाना है।
खुलेगा अच्छे वेतन में स्थाई रोजगार का रास्ता
जिले में इन दो खदानों के शुरू होने पर एक हजार से अधिक लोगों को अच्छे वेतन पर स्थाई रोजगार का रास्ता खुल जाएगा। अस्थाई व दैनिक वेतन पर काम करने वाले श्रमिक अतिरिक्त होंगे। प्रशासन को इस पर गौर करना चाहिए और खदानों के श्रीगणेश को लेकर प्रक्रिया तेज करना चाहिए। गौरतलब है कि वर्तमान में दूसरे जिलों व राज्यों से घर लौटे लोगों को रोजगार की सख्त आवश्यकता है।
जिले में इन दो खदानों के शुरू होने पर एक हजार से अधिक लोगों को अच्छे वेतन पर स्थाई रोजगार का रास्ता खुल जाएगा। अस्थाई व दैनिक वेतन पर काम करने वाले श्रमिक अतिरिक्त होंगे। प्रशासन को इस पर गौर करना चाहिए और खदानों के श्रीगणेश को लेकर प्रक्रिया तेज करना चाहिए। गौरतलब है कि वर्तमान में दूसरे जिलों व राज्यों से घर लौटे लोगों को रोजगार की सख्त आवश्यकता है।
बाहरी विद्युत कंपनियां भी कर रही हैं इंतजार
कोल खदानों में कोयले का उत्पादन शुरू हो। इसका स्थानीय विद्युत उत्पादक कंपनियों के साथ बाहर की कंपनियां भी बेसब्री से इंतजार है। अधिकारियों की माने तो जहां टीएचडीसी केवल बाहर के ग्राहकों को कोयला देगी। वहीं एपीएमडीसी की ओर से बाहरी ग्राहकों के साथ स्थानीय विद्युत उत्पादक कंपनियों को भी कोयला मुहैया कराया जाएगा। कोयले की पूर्ति बढऩे के साथ ही कीमत में भी राहत मिलेगी।
कोल खदानों में कोयले का उत्पादन शुरू हो। इसका स्थानीय विद्युत उत्पादक कंपनियों के साथ बाहर की कंपनियां भी बेसब्री से इंतजार है। अधिकारियों की माने तो जहां टीएचडीसी केवल बाहर के ग्राहकों को कोयला देगी। वहीं एपीएमडीसी की ओर से बाहरी ग्राहकों के साथ स्थानीय विद्युत उत्पादक कंपनियों को भी कोयला मुहैया कराया जाएगा। कोयले की पूर्ति बढऩे के साथ ही कीमत में भी राहत मिलेगी।