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सिंगरौली

पिकनिक मनाने तैयार हो चुके हैं कई पर्यटन स्थल, माड़ा की गुफाओं को किया गया है विकसित

मुड़वानी डैम व रकसगंडा में भी मना सकते हैं नए वर्ष में उत्सव….

सिंगरौलीDec 30, 2019 / 04:13 pm

Amit Pandey

Many tourist places in Singrauli ready to have a picnic

Many tourist places in Singrauli ready to have a picnic

सिंगरौली. जिले में कई पर्यटन स्थल पिकनिक मनाने के लिए तैयार हो चुके हैं। माड़ा गुफाओं समेत मुड़वानी डैम व रकसगंडा में नए वर्ष पर उत्सव मना सकते हैं। वैसे तो हर जगह की अपनी एक पहचान होती है। खासियत और खूबी होती है। मगर, जिले की पहचान समूचे देश में ऊर्जाधानी के रूप में की जाती है। यहां कोयले का अपार भंडार है। पानी का अथाह सागर है। इस स्थिति में ऊर्जा पैदा होना स्वाभाविक है। यहां देश की सबसे बड़ी तापीय परियोजना विंध्यनगर एनटीपीसी संचालित है। एनसीएल की दस कोलमाइंस हैं।
इसी तरह से इस जिले में कई निजी परियोजनाएं संचालित हैं। एशिया की सबसे बड़ी झील रिहंद डैम भी इसी जिले में स्थित है। जो एमपी, यूपी व छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित है। नए वर्ष में अपने परिवार के साथ पिकनिक स्पॉट पर उत्सव मनाने के लिए उत्साहित होंगे। यह लाजमी भी है। आप नए साल पर जरूर पिकनिक मनाने जाएं लेकिन सावधानी के साथ। वजह, जंगली क्षेत्र होने के नाते जंगली जानवरों का भया बना रहता है। साथ ही इस राज्य की सीमाएं नक्सल प्रभावित हैं। लोगों को सतर्क रहने की भी जरूरत है।
रकसगंडा झील:
छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित एक प्राकृतिक झील है। यहां यूपी, एमपी व छत्तीसगढ़ के लोग पिकनिक मनाने के लिए आते हैं। यहां पानी पहाड़ों से हमेशा झरना के रूप में गिरता रहता है। यहां की खूबसूरती चिकने एवं सुडौल पत्थर बनाते हैं। सैलानी यहां झरने का आनंद लेते हैं। पानी में बहाव तेज रहता है। नये साल परे यहां काफी भीड़ रहती है। दुविधा यह कि मौजूदा वक्त में नक्सल प्रभावित होने की वजह से लोग दिन में ही पिकनिक मनाकर लौट आते हैं।
माड़ा की गुफाएं:
जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर प्राकृतिक माड़ा की गुफाएं हैं। माड़ा की गुफाएं पर्यटकों को लुभाने वाली हैं। चट्टानों को काटकर बनाई गई गुफाएं ७ वीं सदी की प्रतीत होती हैं। जिन्हें राष्ट्रकूट के शासनकाल का एक अद्भुत नमूना माना जाता है। सैलानी यहां पिकनिक मनाने के लिए जाते हैं। यहां पर विवाह माड़ा गुफाएं, रावण माड़ा गुफाएं, शंकर-गणेश माड़ा गुफाएं और जल-जलिया माड़ा गुफाएं हैं।
रिहंद डैम:
रिहंद डैम को इस जीवनदायिनी कहा जाता है। एशिया की सबसे बड़ी झील होने के नाते सैलानी यहां घूमने के लिए जाते हैं। देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने रेणुका नदी पर वर्ष १९५४ में इस बांध की आधारशिला रखे थे। हालांकि सैलानी यहां भी पिकनिक मनाने के लिए जाते हैं।
मुड़वानी डैम:
जिला मुख्यालय से महज 7 किमी दूर मुड़वानी डैम स्थित है। हालांकि अभी यह डैम ज्यादा विकसित नहीं हो पाया है। मगर, जिला प्रशासन ने इसे पर्यटक स्थान के रूप में विकसित करने की योजना तैयार किया है। फिलहाल यहां लोग पिकनिक मनाने जाते हैं। चारों ओर ओबी से घिरा यह डैम देखने में दूर से ही खूबसूरत लगता है।
चिल्काडांड झील:
यह झील एनटीपीसी शक्तिनगर परिक्षेत्र में है। जिसे एनटीपीसी प्रबंधन ने निर्माण कराया है। प्राकृतिक झील प्राकृतिक न होते हुए भी लुभाती है। पानी का बहाव ऊपर से होता है। यहां भी लोग पिकनिक मनाने के लिए जाते हैं। यहां परिवार के साथ जाना अच्छा होगा, क्योंकि सुरक्षा गार्ड तैनात रहते हैं।
काचन जलाशय:
बंधा काचन जलाशय चारों तरफ जंगलों से घिरा है। जलाशय का नजरा दोनों ओर पहाड़ और बीच में काचन जलाशय की तस्वीर युवाओं को आकर्षित करती है। यहां भी नए वर्ष पर लो पिकनिक मनाने के लिए जाते हैं। जंगलों की बीच जलाशय की खूबसूरती देखते बनती है।

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