विधि विधान से हुई पूजा-अर्चना
भाई के माथे पर रोली अक्षत से तिलक कर आरती की, मीठा खिलाया। भाइयों को नारियल भेंट किया। उनके यश वृद्धि की कामना की गई। परपरागत रूप से चौक कर विधि विधान से पूजा अर्चना की गई। भाइयों ने भी बहनों को उपहार दिए। यह त्योहार भाई तथा बहन के पावन संबंध व प्रेमभाव का है। इस दिन बहनें बेरी पूजन भी करती हैं। इस दिन बहनें भाइयों के स्वस्थ तथा दीर्घायु होने की मंगल कामना करके तिलक लगाती हैं। बहनें भाइयों को चावल खिलाती हैं। इस दिन बहन के घर भोजन करने का विशेष महत्व है।
भाई के माथे पर रोली अक्षत से तिलक कर आरती की, मीठा खिलाया। भाइयों को नारियल भेंट किया। उनके यश वृद्धि की कामना की गई। परपरागत रूप से चौक कर विधि विधान से पूजा अर्चना की गई। भाइयों ने भी बहनों को उपहार दिए। यह त्योहार भाई तथा बहन के पावन संबंध व प्रेमभाव का है। इस दिन बहनें बेरी पूजन भी करती हैं। इस दिन बहनें भाइयों के स्वस्थ तथा दीर्घायु होने की मंगल कामना करके तिलक लगाती हैं। बहनें भाइयों को चावल खिलाती हैं। इस दिन बहन के घर भोजन करने का विशेष महत्व है।
इसलिए मनाया जाता है भाई दूज
जानकारों की मानें तो भगवान सूर्य नारायण की पत्नी का नाम छाया था। उनकी कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था। यमुना यमराज से बड़ा स्नेह करती थी। वह उससे बराबर निवेदन करती कि वह इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करो। अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालता रहा। कार्तिक शुक्ला का दिन आया। यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया।
जानकारों की मानें तो भगवान सूर्य नारायण की पत्नी का नाम छाया था। उनकी कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था। यमुना यमराज से बड़ा स्नेह करती थी। वह उससे बराबर निवेदन करती कि वह इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करो। अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालता रहा। कार्तिक शुक्ला का दिन आया। यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया।