भाई दूज की कथा भाई दूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है। ऐसे में बहनें यमराज की भी पूजा करती हैं। धर्म कथाओं के अनुसार यमराज और यमुना रिश्ते में भाई-बहन हैं। बहन यमुना को इस बात से काफी रंज रहता था कि उनके भाई कभी उनके घर नहीं आते। वो अक्सर अपने घर आमंत्रित करती थीं। लेकिन एक रोज यमराज बिना बुलाए ही बहन यमुना के घर पहुंच गए। भाई को अपने द्वार पर देख बहन यमुना की खुशी का ठिकाना न रहा। यमुना ने भाई यमराज का जोरशोर से स्वागत किया। उन्हें पवित्र आसन पर बिठाया और विविध पकवान बना कर खिलाया। खातिरदारी से प्रसन्न यमराज ने बहन से आशीर्वाद मांगने को कहा तो यमुना ने यही कामना की कि आप इसी तरह से हर साल इसी दिन यानी कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मेरे घर आएं। साथ ही उन्होंने ये भी वर मांगा कि कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को जो भी भाई, बहन के घर जाएगा, मिठाई और भोजन करेगा उसे अकाल मृत्यु नहीं आएगी। यमराज तथास्तु कह कर चले गए। माना जाता है तभी से हर साल कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को भाई दूज मनाया जाता है।
शुभ मुहूर्त ज्योतिष शास्त्र व पंचांग के अनुसार इस बार छह नवंबर को कार्तिक शुक्ल द्वितीया पड़ रही है। इस दिन बहनें पूजन आदि से निवृत्त हो कर भाई को तिलक लगाएंगी। इसका शुभ मुहूर्त दोपहर बाद 1:10 से दोपहर 3:21 बजे तक है है। यानी कुल दो घंटा 11 मिनट तक शुभ मुहूर्त रहेगा।
पूजा विधि भाई दूज के दिन बहनें भाई की हथेली पर चावल का घोल लगाती हैं उसके ऊपर सिंदूर लगाकर कद्दू के फूल, पान, सुपारी, मुद्रा आदि हाथों पर रखकर जल को धीरे धीरे हाथों पर छोड़ती हैं, इस दौरान वो ‘गंगा पूजे यमुना को यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजा कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई की आयु बढ़े’ का उच्चारण करती रहती हैं। इस दिन शाम के समय बहनें यमराज के नाम से चौमुख दीपक जलाकर घर के बाहर रखती हैं। इस समय ऊपर आसमान में चील उड़ता दिखाई दे तो बहुत ही शुभ माना जाता है। माना जाता है कि बहनें भाई की आयु के लिए जो दुआ मांग रही हैं उसे यमराज ने कुबूल कर लिया है या चील जाकर यमराज को बहनों का संदेश सुनाएगा।
भाइयों की खुशी के लिए पूजा के दौरान पढा जाने वाला मंत्र ”गंगा पूजे यमुना को यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजे कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई की आयु बढ़े।”