इधर कॉलेज की स्थापना के मद्देनजर जिला प्रशासन ने भूमि भी चिन्हित कर ली है। जिले में मेडिकल कॉलेज स्वीकृत किए जाने से संबंधित सांसद को सौंपे गए पत्र में यहां के जिला अस्पताल को भी अपग्रेड किए जाने की बात कही गई है। इस तरह से जिला अस्पताल को अपग्रेड करते हुए यहां मेडिकल कॉलेज की स्थापना की जाएगी। गौरतलब है कि कॉलेज की स्थापना को लेकर वर्ष 2014 से लगातार प्रयास किया जा रहा है।
हाल ही में इस बावत केंद्र स्तर से एक कमेटी गठित कर यहां कॉलेज की स्थापना के बावत औचित्य को परखा गया था। जिले में राष्ट्रीय स्तर की कोयला व विद्युत उत्पादक कंपनियों के स्थापित होने के बावजूद यहां आस-पास न ही कोई बेहतर अस्पताल है और न ही कोई मेडिकल कॉलेज। एेसे में चिकित्सा की पढ़ाई के लिए यहां के छात्र-छात्राओं को दूसरे जिलों के लिए रूख करना पड़ता है।
लोकसभा तक पहुंची थी मांग
जिले में मेडिकल कॉलेज की स्थापना को लेकर सांसद रीती ने लोकसभा में भी मुद्दा उठाया था। वर्ष 2014 में 16वीं लोकसभा के लिए सदस्य निर्वाचित होने के बाद उन्होंने लोकसभा में यह मांग की थी। इसके अलावा उन्होंने स्वास्थ्य मंत्रालय को जुलाई व नवंबर 2019 में दो बार पत्र लिखा था। सांसद के अलावा अन्य जनप्रतिनिधियों ने भी मेडिकल कॉलेज स्वीकृत किए जाने की मांग की थी। सांसद ने केंद्र सरकार को धन्यवाद ज्ञापित किया है।
जिले में मेडिकल कॉलेज की स्थापना को लेकर सांसद रीती ने लोकसभा में भी मुद्दा उठाया था। वर्ष 2014 में 16वीं लोकसभा के लिए सदस्य निर्वाचित होने के बाद उन्होंने लोकसभा में यह मांग की थी। इसके अलावा उन्होंने स्वास्थ्य मंत्रालय को जुलाई व नवंबर 2019 में दो बार पत्र लिखा था। सांसद के अलावा अन्य जनप्रतिनिधियों ने भी मेडिकल कॉलेज स्वीकृत किए जाने की मांग की थी। सांसद ने केंद्र सरकार को धन्यवाद ज्ञापित किया है।
नौगढ़ में चिन्हित है 25 एकड़ जमीन
मेडिकल कॉलेज के लिए जिला प्रशासन ने मुख्यालय से पांच किलोमीटर दूर नौगढ़ में 25 एकड़ जमीन चिन्हित कर लिया है। अभी हाल ही में कलेक्टर केवीएस चौधरी व एसडीएम ऋषि पवार ने मौके का निरीक्षण कर स्वीकृति मिलने की पूर्व प्रत्याशा में कॉलेज स्थापना की रणनीति बनाई है। चिन्हित जमीन नौगढ़ में पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के ठीक सामने स्थित है।
मेडिकल कॉलेज के लिए जिला प्रशासन ने मुख्यालय से पांच किलोमीटर दूर नौगढ़ में 25 एकड़ जमीन चिन्हित कर लिया है। अभी हाल ही में कलेक्टर केवीएस चौधरी व एसडीएम ऋषि पवार ने मौके का निरीक्षण कर स्वीकृति मिलने की पूर्व प्रत्याशा में कॉलेज स्थापना की रणनीति बनाई है। चिन्हित जमीन नौगढ़ में पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के ठीक सामने स्थित है।
वाराणसी व जबलपुर जाने से मिलेगी मुक्ति
जिले में मेडिकल कॉलेज खुलने और जिला अस्पताल की सुविधाओं के अपग्रेड हो जाने के बाद लोगों को इलाज के लिए जबलपुर या फिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले तक दौड़ लगाने से मुक्ति मिल जाएगी। गौरतलब है कि वर्तमान में सक्षम लोगों के पास बेहतर इलाज के लिए इन्हीं दो शहरों का विकल्प है। वैसे तो संभाग मुख्यालय रीवा में संजय गांधी अस्पताल के साथ वहां की सुपर स्पेशियलिटी का विकल्प भी है, लेकिन वहां ट्रेन सहित अन्य यातायात की सुविधा बेहतर नहीं होने से लोग रीवा का विकल्प नहीं चुनते हैं। इलाज के लिए रीवा जाने के बेहतर जबलपुर व वाराणसी जाना ज्यादा बेहतर माना जाता है। गरीब तबका पूरी तरह से यहां जिल अस्पताल पर ही निर्भर है।
जिले में मेडिकल कॉलेज खुलने और जिला अस्पताल की सुविधाओं के अपग्रेड हो जाने के बाद लोगों को इलाज के लिए जबलपुर या फिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले तक दौड़ लगाने से मुक्ति मिल जाएगी। गौरतलब है कि वर्तमान में सक्षम लोगों के पास बेहतर इलाज के लिए इन्हीं दो शहरों का विकल्प है। वैसे तो संभाग मुख्यालय रीवा में संजय गांधी अस्पताल के साथ वहां की सुपर स्पेशियलिटी का विकल्प भी है, लेकिन वहां ट्रेन सहित अन्य यातायात की सुविधा बेहतर नहीं होने से लोग रीवा का विकल्प नहीं चुनते हैं। इलाज के लिए रीवा जाने के बेहतर जबलपुर व वाराणसी जाना ज्यादा बेहतर माना जाता है। गरीब तबका पूरी तरह से यहां जिल अस्पताल पर ही निर्भर है।
कंपनियों के अस्पताल केवल नाम के
वैसे तो एनसीएल व एनटीपीसी विंध्याचल के अस्पतालों में सामान्य लोगों को भी इलाज की सुविधा दिए जाने की व्यवस्था दी गई है। लेकिन इन दोनों अस्पतालों में इलाज के बदले कंपनी से इतर मरीजों को मोटी फीस देनी पड़ती है। आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लिए वहां की फीस दे पाना मुमकिन नहीं होता है। जिले में मेडिकल कॉलेज खुलने से जहां चिकित्सकों की उपलब्धता बढ़ जाएगी। वहीं अस्पताल की सुविधाएं भी अपगे्रड हो जाएंगी। एेसे में मरीजों को सस्ता व उपयुक्त इलाज यहीं जिले में मिलना संभव हो सकेगा।
वैसे तो एनसीएल व एनटीपीसी विंध्याचल के अस्पतालों में सामान्य लोगों को भी इलाज की सुविधा दिए जाने की व्यवस्था दी गई है। लेकिन इन दोनों अस्पतालों में इलाज के बदले कंपनी से इतर मरीजों को मोटी फीस देनी पड़ती है। आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लिए वहां की फीस दे पाना मुमकिन नहीं होता है। जिले में मेडिकल कॉलेज खुलने से जहां चिकित्सकों की उपलब्धता बढ़ जाएगी। वहीं अस्पताल की सुविधाएं भी अपगे्रड हो जाएंगी। एेसे में मरीजों को सस्ता व उपयुक्त इलाज यहीं जिले में मिलना संभव हो सकेगा।
यह सुविधाएं हो जाएंगी बेहतर
– अध्ययन को आएंगी मशीने, मुहैया होंगी इलाज की अत्याधुनिक सुविधाएं।
– क्लीनिकल प्रोफेसर के रूप में उपलब्ध हो जाएंगे विशेषज्ञ चिकित्सक।
– अध्ययन के लिए बनेगी पैथोलॉजी, तो मरीजों को भी मिलेगा लाभ।
– कैंसर जैसे अन्य गंभीर बीमारियों के भी इलाज की खुलेगी राह।
– कॉलेज का खुद का होगा अस्पताल तो जिला अस्पताल पर भार घटेगा।
– मेडिकल कॉलेज खुलने से जिले का संरचनात्मक विकास भी होगा।
– अध्ययन को आएंगी मशीने, मुहैया होंगी इलाज की अत्याधुनिक सुविधाएं।
– क्लीनिकल प्रोफेसर के रूप में उपलब्ध हो जाएंगे विशेषज्ञ चिकित्सक।
– अध्ययन के लिए बनेगी पैथोलॉजी, तो मरीजों को भी मिलेगा लाभ।
– कैंसर जैसे अन्य गंभीर बीमारियों के भी इलाज की खुलेगी राह।
– कॉलेज का खुद का होगा अस्पताल तो जिला अस्पताल पर भार घटेगा।
– मेडिकल कॉलेज खुलने से जिले का संरचनात्मक विकास भी होगा।