शेखावाटी में राजू ठेहट और बलवीर बानूड़ा का था राज
समय गुजरता रहा है। अवैध शराब तस्करी के कारोबार में अपना वर्चस्व कायम करने के लिए वर्ष 1998 में राजू ठेहट और बलवीर बानूड़ा ने मिलकर सीकर के भोभाराम की हत्या कर दी। इस हत्या के बाद तो दोनों का कद इलाके में बढ़ गया। और अवैध शराब तस्करी सहित और अवैध धंधे बिना राजू ठेहट की मर्जी कोई नहीं कर सकता था। पूरे शेखावाटी में लम्बे समय तक राजू ठेहट और बलवीर बानूड़ा ने राज किया।
यह भी पढ़ें – Sikar : कानूनगो हत्याकांड में कोर्ट का बड़ा फैसला, 7 आरोपियों को उम्रकैद की सजा मिली
शक की वजह से दोस्त के साले को गोलियों से उड़ाया
अचानक दो दोस्त दुश्मन बन गए। वर्ष 2004 में शराब ठेकों के कारोबार में बलवीर बानूड़ा का ***** विजयपाल सेल्समैन था। राजू ठेहट को ऐसा लगने लगा कि विजयपाल रुपयों के लेन – देन में कुछ गड़बड़ कर रहा है। बस विवाद हो गया। और राजू ठेहट अपने साथियों संग विजयपाल की हत्या कर दी। इस हत्या के बाद राजू ठेहट और बलवीर बानूड़ा जानी दुश्मन हो गए।
दोस्त बना दुश्मन, आनन्द पाल सिंह से मिलाया हाथ
शेखावाटी इलाके में गोपाल फोगावट का राजू ठेहट पर हाथ था। कोई भी उसका विरोध नहीं कर सकता था। दिलजला बलवीर बानूड़ा ने नागौर जिले के सांवराद निवासी आनन्द पाल सिंह से हाथ मिला। आनन्दपाल सिंह और बलवीर बानूड़ा अब एक साथ शराब तस्करी और माइनिंग का कारोबार करने लगे।
आका गोपाल फोगावट की हत्या हुई
वर्ष 2006 का वह दिन था जब आनन्दपाल सिंह और बलवीर बानूड़ा ने गोपाल फोगावट की हत्या कर दी। अपने आका की हत्या के बाद राजू ठेहट बिफर गया। और आनन्दपाल सिंह और बलवीर बानूड़ा को खत्म करने की कसम खा ली।
बीकानेर जेल में राजू ठेहट को मिला मौका
राजू ठेहट को हर वक्त बस बदला ही दिखता था। वर्ष 2012 में आनन्दपाल सिंह, बलवीर बानूड़ा और राजू ठेहट आखिरकार पुलिस की गिरफ्त में आ गए। बलवीर बानूड़ा के खास दोस्त सुभाष बराल ने सीकर जेल में बंद राजू ठेहट पर हमला कर दिया। पर किस्मती राजू ठेहट बच गया। दोनों गैंग्स को सिर्फ बदला चाहिए था। आनन्दपाल सिंह और बलवीर बानूड़ा बीकानेर जेल में बंद थे। राजू ठेहट के भाई ओम का जयप्रकाश भी बीकानेर जेल में बंद था। राजू ठेहट ने दोनों को मारने को काम अपने भाई ओमा को सौंपा।
बदले में गंवाई जान
बदले को अंजाम देने के लिए 24 जुलाई 2014 को जयप्रकाश और रामपाल जाट ने आनन्दपाल पर फायर किया। बीच में बलवीर बानूड़ा आ गया, जिसमें बानूड़ा की मौत हो गई और आनन्दपाल सिंह घायल हो गया था। इससे गुस्साए आनन्दपाल के साथियों ने जयप्रकाश और रामपाल की जेल में ही पीट पीट कर हत्या कर दी।
आनन्दपाल पुलिस कस्टडी से हुआ फरार, पुलिस ने ठोंका
कहानी लगातार मोड़ लेती है। कोर्ट में पेशी के दौरान आनन्दपाल सिंह पुलिस कस्टडी से फरार हो गया। जून 2017 में पुलिस ने आनन्दपाल सिंह को एनकाउंटर में मार गिराया। इस बीच लॉरेंस विश्नोई गैंग ने राजस्थान में अपनी धमक बनाई। वसूली और वर्चस्व को लेकर लॉरेंस और राजू ठेहट में दुश्मनी हो गई। इधर आनन्दपाल सिंह गैंग भी बदला लेने की फिराक में थी। कोरोना काल में राजू ठेहट को जमानत पर छोड़ दिया गया था। अब राजू ठेहट राजनैतिक सरपरस्ती की तलाश करने लगा।
3 दिसंबर की रात राजू ठेहट की आखिरी रात थी
राजू ठेहट जयपुर के साथ सीकर के पीपराली रोड़ पर बने मकान में रहने लगा। इधर दुश्मनों का गैंग राजू ठेहट के एक एक पल की निगरानी कर रहा था। मौके की तलाश में था। विरोधी गैंग ने चाल चली। राजू ठेहट के मकान के ठीक सामने विरोधी गैंग के दो गुर्गे पीजी में छात्र बनकर रहने लगे। शनिवार 3 दिसंबर 2022 की रात राजू ठेहट की आखिरी रात थी। अगली सुबह देखना उसकी किस्मत में नहीं था। दो छात्रों ने राजू ठेहट के घर की घंटी बजाई तो राजू ठेहट ने दरवाजा खोला। तभी उन छात्रों के दो और साथी आ गए।
गोलियां तभी बंद हुई जब राजू ठेहट मर गया
बस उसके बाद गोलियों की जो बौछार शुरू हुई राजू ठेहट की ही मौत के कनफर्म होने के बाद ही रुकी। पुलिस ने बताया चारों बदमाशों ने घटनास्थल पर कुल 52 राउंड फायर किए। राजू ठेहट की मौत के साथ ही ठेहट गैंग का खत्म हो गया।
यह भी पढ़ें – आशाराम जेल से आएंगे बाहर! राजस्थान हाईकोर्ट ने दिया पुनर्विचार का आदेश