स्पेशल डाइट लेते हैं श्वान
शशि का कहना है कि उनके डॉग हाउस में फिलहाल दस श्वान है। इनके लिए अलग से रोजाना पांच लीटर दूध लिया जाता है। सुबह-शाम दलिया, दही व रोटी सहित स्पेशल डाइट भी दी जाती है।
इसलिए बनाया डॉग हाउस
कॉलोनी के कई लोगों ने बेसहारा श्वानों के हाथ-पैर तोड़ दिए। इस मामले में पुलिस में भी शिकायत दी। इसके बाद भी लोगों ने श्वानों को यातना देना बंद नहीं किया। इसके बाद उन्होंने श्वानों के लिए घर का एक बड़ा हॉल कर दिया। इसके बाद से इलाके के कई श्वान घर के अंदर ही रहते है।
पशु भी प्यार के भूखे, अनुशासन इंसानों से ज्यादा
बकौल शशि इंसानों की तरह पशु भी प्यार के भूखे है। समाज को मूक प्राणियों की पीड़ा भी परिवार के सदस्य की तरह समझनी चाहिए। मैेने सात साल के सफर में देखा कि इनका अनुशासन इंसानों से कही बेहतर है। शशि का कहना है कि सरकार की ओर से हर बजट में गौशाला खोलने की घोषणा की जाती है। इसी तरह मूक प्राणियों के लिए सरकार को स्वयंसेवी संस्थाओं को साथ लेकर उनके आवास व भोजन की व्यवस्था करनी चाहिए।
सरकारी में नहीं मिला सहयोग तो खुद अपने स्तर पर इंतजाम
उन्होंने बताया कि पहले श्वान सहित अन्य मूक प्राणियों को उपचार के लिए सरकारी अस्पताल में लेकर जाती थी। लेकिन वहां जानवरों में संक्रमण फैल गया। इससे कई जानवरों की मौत हो गई। इस मामले में भी उन्होंने जिम्मेदारों को खूब जगाया। तब जाकर व्यवस्था में बदलाव हुआ। अब वह खुद अपने स्तर पर निजी चिकित्सक को बुलाकर श्वानों का अपने खर्चे पर उपचार कराती है।
परिवार के किसी भी सदस्य के बाहर जाते ही भावुक
शशि के पिता राजेन्द्र बिल्खीवाल नेछवा इलाके के सरकारी स्कूल में अंग्रेजी के वरिष्ठ अध्यापक है। छोटी बहन पूनम भी अजमेर में अध्यापिका है। एक बहन नानी में सीएचओ के तौर पर पदस्थापित है। जैसे ही यह घर से बाहर निकलते है तो श्वान भावुक हो जाते है।