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अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाने सबसे पहले चढ़े थे राजस्थान के ये शख्स, यूं बताई पूरी घटना

अयोध्या के राम मंदिर निर्माण में सबसे अहम भूमिका कार सेवकों की रही। जिन्होंने 1992 को विवादित ढांचे को ढ़हाया था।

सीकरJan 21, 2024 / 10:56 am

Sachin

अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाने सबसे पहले चढ़े थे राजस्थान के ये शख्स, यूं बताई पूरी घटना

अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाने सबसे पहले चढ़े थे राजस्थान के ये शख्स, यूं बताई पूरी घटना

अयोध्या के राम मंदिर निर्माण में सबसे अहम भूमिका कार सेवकों की रही। जिन्होंने 1992 को विवादित ढांचे को ढ़हाया था। पर अब भी यह विवाद है कि ढांचे को ढहाने की पहल सबसे पहले किसने की। इस बीच सीकर जिले के शाहपुरा गांव निवासी कार सेवक मगन सिंह शेखावत ने ढांचे के गुंबद पर सबसे पहले चढकऱ प्रहार करने का दावा किया है। जिनका समर्थन उस समय संघ जिला प्रमुख नवल सिंह व अन्य कार सेवकों ने भी किया है। आदर्श विद्या मंदिर में शिक्षक रहे मगन सिंह ने पत्रिका से इस संबंध में एक वीडियो भी साझा किया है। जिसमें एक युवक ढांचे पर सबसे पहले चढकऱ दोनों हाथ उठाकर जयकारा लगाते हुए दिख रहा है। दावा है कि ये वे खुद ही है, जो औजार नहीं होने पर पेड़ की एक तिकोनी लेकर ऊपर चढ़े थे।

15 दिन पहले पहुंच गए थे अयोध्या

साध्वी ऋतंबरा से दीक्षा प्राप्त मगन सिंह ने बताया कि जन्मभूमि में राम मंदिर नहीं होने की उन्हें बेहद टीस थी। उन्होंने पहले ही ये तय कर लिया था कि विवादित ढांचे को गिराना है। इसके लिए वे अपनी टोली सहित 15 दिन पहले ही अयोध्या पहुंच गए थे। जहां वे हनुमानगढ़ी में रुके थे। पांच दिसंबर की रात जयपुर प्रांत प्रमुख नवल सिंह ने उन्हें अगले दिन सुबह सवा 11 बजे विवादित ढांचे के पास हनुमान चालीसा के पाठ कर सरयु की नदी को एक गड्ढे में डालकर सांकेतिक कार सेवा का उच्च पदाधिकारियों का फैसला बताया।

पेड़ के सहारे लगाई छलांग, पुलिस ने भी दिया साथ

बकौल मगन सिंह उन्होंने पहले ही अपने साथियों को कह दिया था कि उनका लक्ष्य ढांचे को गिराना है। अगले दिन वे करीब 11.15 बजे वहां पहुंच गए थे। जहां पुलिस की कड़ी सुरक्षा थी। तभी एक पेड़ के सहारे वे एक साथी के साथ ढांचे की दीवार पर चढकऱ कूद गए। कूदते समय पेड़ की एक तिकोरी उनके हाथ आ गई। अंदर पुलिस की तरफ देखा तो उन्होंने भी उन्हें नहीं रोका। ये देख वे जय श्री राम के जयकारा लगाते हुए सीधे ढांचे के मुख्य गुंबद पर चढ़ गए। तब तक अन्य कार सेवक भी चारों तरफ से आ गए और तीनों ढांचों पर चढकऱ उसे तोडऩे लगे। मगन सिंह ने बताया कि शुरुआती कार सेवकों के पास कोई औजार नहीं थे। बाद में कार सेवक गेती, फावड़े और अन्य औजार लेकर पहुंच गए और तीन घंटे में ढांचे को ध्वस्त कर दिया।

पुलिसकर्मियों ने दिया सहयोग

बकौल मगन सिंह पुलिसकर्मियों ने भी उस समय कारसेवकों का सहयोग किया था। शुरू में तो वे उन्हें गिरने की बात कहते हुए नीचे आने की सलाह देने लगे। पर बाद में हमारे तौलिए लेकर उन्हें कमर के लपेटकर उन्होंने भी कार सेवा की।

एक बार हुए बेहोश, फिर चढ़ गए

संघ के तत्कालीन जिला प्रमुख नवल सिंह धायल ने बताया कि उनकी टीम कारसेवकों को सिर्फ सांकेतिक कार सेवा करवाने के लिए संघर्ष कर रही थी। पर मगन सिंह सहित हजारों लोग नहीं मान रहे थे। इस बीच मगन सिंह एकबारगी बेहोश भी हो गए। कुछ देर बाद होश आया तो वे नहीं रुके और सब कारसेवकों में आगे होकर सबसे पहले ढांचे के बीच वाले मुख्य गुंबद पर चढ़ गए। मगन सिंह के सबसे पहले गुंबद पर पहुंचने के दावे का समर्थन कार सेवक शंकर भारती, सुरेंद्र सिंह कोलिड़ा सहित अन्य कार सेवकों ने भी की है।

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