-पुलिस ने गिरोह का खुलासा कर चार आरोपियों को किया गिरफ्तार-गिरोह से जुड़े दस से अधिक लोगों की तलाश-नगर परिषद में भी है गिरोह की जड़े, परिषद के तीन कर्मचारी संदेह के घेरो में
सीकर•Jul 08, 2021 / 12:09 pm•
Ashish Joshi
राजस्थान में यहां फर्जी कागज से ऐसे हुआ असली पट्टे का खेल उजागर
सीकर. वर्षों से खाली और सूनी पड़ी करोड़ों की कीमत की जमीनों के कागजों की फर्जी कडिय़ां जोडकऱ कब्जा करने वाला गिरोह सीकर में सक्रिय है। फर्जी नोटेरी के बाद एग्रिमेंट से बेचान का करार। रजिस्ट्री और असली पट्टा बनाकर यह गिरोह जमीनों पर कब्जा करता है। उद्योग नगर थाना पुलिस ने शहर के शिवसिंहपुरा स्थित हाउसिंग बोर्ड के पास सूर्य नगर में स्थित करोड़ों की कीमत की जमीन पर कब्जे के प्रयास के मामले की जांच में इसका पर्दाफाश कर गिरोह से जुड़े चार लोगों को गिरफ्तार किया है। इस मामले में पुलिस को करीब दस लोगों की तलाश है। साथ ही फर्जी पट्टा बनाने के मामले में नगर परिषद के तीन अधिकारी भी पुलिस निशाने पर है। पुलिस जल्द ही उन्हें इस मामले में पूछताछ करेगी।
थानाधिकारी पवन चौबे ने बताया कि गिरफ्तार आरोपी शहर के हाउसिंग बोर्ड का निवासी कैलाश तिवाड़ी, पालवास रोड निवासी मुकेश सोनी, चूड़ी अजीतगढ़ निवासी चिरंजीलाल और उसका भतीजा शिवचंद नायक है। रघुनाथढ़ क्षेत्र के गणेश मोड़ के निवासी भोलाराम कुमावत ने गत वर्ष 9 अक्टूबर को मामला दर्ज करवाया था कि उनका सूर्य नगर में प्लाट है। मुकेश सोनी व 10-15 लोगों ने प्लाट की दीवार तोड़ दी। यह प्लाट भोलाराम ने करीब तीस वर्ष पहले जरिए रजिस्ट्री खरीदा था। इस पर पुलिस ने मौके पर पहुंच कर निर्माण सामग्री को जब्त कर लिया।
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सूना प्लाट देखकर ललचाया मन, पुलिस के सामने पेश किया पट्टा
भोलाराम कुमावत ने यह प्लाट वर्ष 1981 में खातेदार मोतीवाली ढाणी के निवासी मालाराम से खरीदा था। इसके बाद वहां पर एक कमरे का निर्माण करवाया था। इसके बाद से प्लाट सूना पड़ा था। पुलिस ने आरोपी मुकेश सोनी को बुलाकर पूछताछ की तो उसने विक्रय इकरार नामा और नगर परिषद की ओर से जारी पट्टा पेश कर दिया। इस पर पुलिस ने आसपास के लोगों और 1981 में निर्माण कार्य करने वाले लोगों के बयान लिए गए तो प्लाट भोलाराम का होने की बात सामने आई। ऐसे में पुलिस ने नगर परिषद से पट्टे की फाइल का रिकार्ड लिया तो कडिय़ां सामने आ गई।
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एक वर्ष में बना लिए 1986 से 2019 तक के दस्तावेज
मामले की जांच में सामने आया है कि सूना प्लाट देखकर गिरोह ने पिछले वर्ष 1986 से लेकर 2019 तक के दस्तावेज पुराने स्टाम्प पर फर्जी हस्ताक्षरों से बना लिए। इसकी शुरूआत मनोज शर्मा और उम्मेद नाम के व्यक्ति ने की। जमीन के खातेदार की मौत होने की जानकारी मिलने पर सबसे पहले वर्ष 1986 के स्टाम्प पर पड़ौसी व घोड़ीवारा कलां निवासी हरलाल जाट के नाम से विक्रय इकरार नामा बनाया। हरलाल की मौत होने पर वर्ष 1996 के दस्तावेज शिवचंद नायक के नाम से बनाए। इसके बाद शिवचंद के भतीजे चिरंजीलाल नायक के नाम पर वर्ष 2019 में विक्रय-पत्र बनाकर नगर परिषद में पट्टे के लिए आवेदन कर दिया। खास बात यह भी है कि नगर परिषद में पट्टे के लिए 11 सितंबर, 2019 को पट्टे के लिए आवेदन किया और 4 अक्टूबर2019 को नगर परिषद से पट्टा भी जारी हो गया। खेल यहां पर ही नहीं रुका पट्टा जारी होने के बाद मास्टर माइंड मुकेश सोनी ने गत वर्ष 20 अगस्त को इकरार नामा के आधार पर प्लाट को खरीद लिया।
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करोड़ों की जमीन के दस्तोवज के बदले मिले 50 हजार से एक लाख
गिरफ्तार आरोपी कैलाश तिवाड़ी, मनोज शर्मा और मुकेश सोनी ने करोड़ों की जमीन पर कब्जे का खेल मोहरों के माध्यम से खेला। फर्जी कागजों से दस्तावेज अपने नाम बनाने के बजाय शिवचंद व चिरंजीलाल जैसे लोगों के नाम बनाए। इनके नाम दस्तावेज बनाने के बदले उन्हें पचास हजार से एक लाख तक रुपए का भुगतान किया गया। इनके नाम दस्तावेज प्लाट का पट्टा बनने के तक ही रखे। गलती यहां भी कि पट्टा के लिए आवेदन करने के बाद पुराने दस्तावेज की गुमशुदगी ई-मित्र के माध्यम से दर्ज करवा दी। परिषद के अधिकारियों ने भी इस गुमशुदगी की हकीकत का पता करने की बजाय इसे फाइल में शामिल कर लिया।
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जांच में खुला एक और प्लाट पर कब्जे का खेल
पुलिस ने सूर्य नगर के प्लाट की जांच की तो इसी गिरोह की ओर से उसी कॉलोनी के दूसरे प्लाट के पट्टे के लिए भी नगर परिषद में आवेदन करने की जानकारी सामने आई। थानाधिकारी पवन चौबे का कहना है कि इस प्लाट के मालिक को पता हीं नहीं है कि उसके प्लाट का पट्टा बनाने के लिए परिषद में आवेदन कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि पुलिस इस मामले में नगर परिषद के कर्मचारी जेइएन पिंकी मीणा, बाबू फारूक और पूरणमल की भूमिका सामने आई है। पुलिस जल्द ही इनसे भी पूछताछ करेगी।
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