जिसका असर शिक्षण व्यवस्था के साथ नामांकन पर भी पड़ना माना जा रहा है। समस्या के समाधान के लिए शिक्षक संगठनों ने उप प्रधानाचार्यों के पदस्थापन के साथ ही वरिष्ठ शिक्षकों की पदोन्नति भी साथ करने की मांग की है।
वरिष्ठ शिक्षकों की अटकी डीपीसी से बढ़ी परेशानी
स्कूलों में व्याख्याताओं की परेशानी वरिष्ठ शिक्षकों की चार साल से अटकी डीपीसी की वजह से ज्यादा बढ़ेगी। दरअसल, शिक्षा विभाग में वरिष्ठ शिक्षकों की पदोन्नति सत्र 2021 से बकाया है। जो इस साल 31 मार्च के बाद चार सत्रों की बाकी हो गई है। शिक्षा विभाग ने मार्च महीने में तीन सत्र के 47 हजार 175 वरिष्ठ शिक्षकों की पात्रता सूची जरूर जारी की थी। पर अब तक पदोन्नति की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाने पर स्कूलों को ये व्याख्याता नहीं मिल पाएंगे।
उप प्राचार्य के पदस्थापन से समस्या
सरकारी स्कूलों में पिछले सत्र में पदोन्नत हुए 5712 उप प्राचार्य पदस्थापन के अभाव में पिछले सत्र तक तो पूर्ववर्ती स्कूल में ही कार्यरत थे। जो बतौर व्याख्याता विषय अध्यापन करवा रहे थे। पर अब जब शिक्षा विभाग आठ जुलाई से पहले उनका पद स्थापन करना तय कर चुका है। लिहाजा उनके जाते ही स्कूल व्याख्याताओं की भारी कमी से जूझने लगेंगे। चूंकि कई स्कूलों से तो एक साथ 5 से 15 तक व्यायाता पदोन्नत हुए थे। ऐसे में उन स्कूलों के सामने शैक्षिक व्यवस्था बड़ी चुनौती बनेगा। उधर, पिछले तीन साल में क्रमोन्नत हुए पांच हजार स्कूलों में 17 हजार पदों को अब तक वित्तीय स्वीकृति नहीं मिलने से वहां पहले से ही व्याख्याताओं का संकट गहराया हुआ है।
इनका कहना है
नए सत्र में सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी नामांकन व शैक्षिक व्यवस्था दोनों को प्रभावित करेगी। शिक्षा विभाग को उप प्रधानाचार्यों के पदस्थापन के साथ वरिष्ठ शिक्षकों की चार सत्रों की पदोन्नति भी साथ करनी चाहिए। – उपेंद्र शर्मा, प्रदेश महामंत्री, राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत।