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शिक्षक दिवस विशेष : टूटकर बिखरी नहीं बल्कि दूसरों का बनी सहारा

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सीकरSep 05, 2018 / 03:00 pm

vishwanath saini

Teachers Day special

सीकर. भगवान ने बहुत कुछ छीना। हालात ऐसे कर दिए कि हर कोई टूट जाता। लेकिन सरोज लोयल ने विपरीत हालात में न केवल खुद को संभाला वरन अब वह दूसरों का भी सहारा बन रही है। सीकर के कोलीड़ा गांव में जन्मी सरोज का विवाह झुंझुनूं के सीरीयासर गांव में हुआ।

 

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शादी के बाद ही फौजी पति का वर्ष 2002 में निधन हो गया। इस हादसे वे वह एक बार तो अंदर तक टूट गई थी, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। अपनों का सहारा मिला और पढाई में पूरा ध्यान लगाया। जिस ऊपर वाले ने उसकी खुशियां छीनी थी, वह तो पूरी नहीं हो सकी, लेकिन दो वर्ष बाद 2004 में सरकारी नौकरी ने फिर से खुशी के आंसू ला दिए। अब वह डाइट सीकर में राजनीति विज्ञान की व्याख्याता है। सरोज लोयल जब राजकीय आदर्श उमावि कटराथल में शिक्षक थी तब दानदाताओं के सहयोग से उसने करीब दस लाख रुपए के विकास कार्य स्कूल में करवाए। अब वह सामाजिक कार्यों की भी अलख जगा रही है।

 

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पिछले करीब 15 वर्ष से सरकारी कार्यक्रमों में उद्घोषक के रूप में भी कार्य कर रही है। इस बार जयपुर में पांच सितम्बर को होने वाले राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह में उन्हें विशेष शिक्षक सम्मान से नवाजा जाएगा। वे बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान में भी विशेष कार्य कर चुकी। इस पर वर्ष 2015 में उनको सम्मानित किया जा चुका। खुद का दर्द देखकर वे सैनिक परिवार की महिलाओं व वीरांगनाओं की मदद के लिए भी हर समय तैयार रहती है। उनका कहना है ऊपर वाले पर भरोसा हो और मेहनत ईमानदारी से की जाए तो हर मंजिला तक पहुंचा जा सकता है।

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