राजस्थान के नीमकाथाना जिले के नजदीकी ग्राम नाथा की नांगल निवासी हंसराज यादव ने अपने पिता दिवंगत रामकुमार यादव की स्मृति में एक प्रेरणादायक पहल की। उन्होंने परंपरागत मृत्युभोज न करके पक्षियों के लिए भव्य और आकर्षक आशियाना बनवाया है। उनकी यह पहल क्षेत्र के लिए प्रेरणादायक बन गई है। अनूठा पक्षी आशियाना न केवल पक्षियों के लिए एक सुरक्षित आवास है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण और मानवीय सेवा का संदेश भी देता है। इस अभिनव पहल से अब सर्दियों में कबूतर, बटेर, कोयल और चिडिय़ों जैसी कई प्रजातियां सकुशल निवास कर रही हैं। क्षेत्रवासियों ने इस पहल को लेकर खुशी जताई है, और उन्होंने इस पहल को एक प्रेरणास्त्रोत बताया।
बाबा चित्रदास मंदिर प्रांगण में बनाया टॉवरनुमा
ग्रामवासी श्रीपाल सिंह तंवर ने बताया कि हंसराज यादव ने अपने पिता की स्मृति में एक अद्वितीय कार्य करते हुए ग्राम के बाबा चित्रदास मंदिर प्रांगण में पक्षियों के लिए शानदार आशियाना बनवाया है, जिसमें छोटे-छोटे रंग-बिरंगे घर बनाए गए हैं, जो बेहद आकर्षक हैं। इस आशियाने का निर्माण गुजरात के कुशल कारीगरों ने किया है। इसे मजबूती प्रदान करने के लिए सीमेंट और सरिए का मजबूत फाउंडेशन तैयार किया है। जमीन के अंदर और जमीन के बाहर फाउंडेशन बनाकर उसके ऊपर छह मंजिला कागतीनुमा ढांचा खड़ा किया गया है, जो अपने आप में भव्य और अनूठा है।ऐसे तैयार किया गया आशियाना
-10 फीट जमीन के अंदर और 12 फीट जमीन के बाहर मजबूत सीमेंट और सरिए का फाउंडेशन बनाया गया।-गुजरात के कारीगरों ने इसे बनाने में 20 दिन का समय लगाया।
-80 फीट ऊंचा का टॉवरनुमा आशियाना बनाया गया है।
-6 मंजिला आशियाना में 2000 रंग-बिरंगे पक्षी घर बनाए गए हैं।
-कबूतर, बटेर, कोयल और चिडिय़ा जैसे पक्षी इस आशियाने में आराम से निवास कर रहे हैं।
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हर किसी ने की सराहना पक्षियों के लिए बनाए गए इस अनूठे आशियाने को देखकर गांववासियों में हर्ष और उत्साह का माहौल है। यह पहल क्षेत्र के लिए प्रेरणादायक बन गई है, और लोग इसे एक नेक और सराहनीय कदम के रूप में देख रहे हैं। पशु-पक्षियों की सेवा ही असली धर्म और पुण्य हंसराज यादव ने अपनी पहल के बारे में कहा, पशु-पक्षियों की सेवा करना मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण कार्य है, क्योंकि यह असली धर्म और पुण्य का कार्य है। जीव-जंतुओं के प्रति दया और सेवा इंसानियत का असली रूप है, और यही मूल्य हमें हमारे पूर्वजों से मिला है। उन्होंने कहा कि पिता की याद में मैंने मृत्युभोज के बजाय कुछ ऐसा करने का विचार किया, जो समाज और पर्यावरण के लिए फायदेमंद हो। पक्षियों को सुरक्षित स्थान देना मेरे लिए एक पुण्य कार्य था, और इसे पूरा करके मुझे अपार खुशी मिल रही है।