बेइंतहा दुख…पहाड़ सा हौसला…इम्तिहान लेती गरीबी और कदम चूमती कामयाबी। दर्दभरा एक दशक बीत जाने के बाद इस मां-बेटी को जो खुशी मिली उसने एक बारगी तो इनके सारे जख्मों पर मरहम सा लगा दिया। सफलता बेटी ने हासिल की है। दसवीं कक्षा टॉप करके। इसमें कोई शक नहीं कि बेटी ने खूब मेहनत की है, मगर इस मेहनत के पीछे मां सबसे बड़ी ताकत बनकर खड़ी रही।
ताकत इसलिए कि बेटी ने जब स्कूल जाना चाहा तब से उसका पिता लापता है। मां ने बेटी के बढ़ते कदम नहीं रोके। सिर पर तगारी ढोककर बेटी का स्कूल में दाखिला करवाया। मां खुद महानरेगा में मजदूरी करती रही और बेटी पढऩे-लिखने का भरपूर अवसर दिया। नतीजा हम सबके सामने है।
दुखभरी और प्रेरणादायक यह स्टोरी राजस्थान के सीकर जिले के गणेश्वर गांव की है। दरअसल गणेश्वर निवासी नानची देवी की पिछले तीन दिन से पूरे गांव में वाह-वाही हो रही है। नानची देवी महानरेगा में मजदूरी करती है।
इसकी बेटी सुशीला ने दसवीं (प्रवेशिका) में 88.33 प्रतिशत अंक हासिल कर कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। यह सही है कि वर्तमान में विद्यार्थियों के लिए दसवीं में 88.33 प्रतिशत अंक हासिल करना कोई बड़ी बात नहीं, मगर सुशीला जिस हालात में पढ़ रही है। उसमें 88.33 प्रतिशत अंक भी बहुत मायने रखते हैं। वो भी सरकारी स्कूल में पढ़कर। सुशीला का पिता 13 साल से लापता हैं।
40 विद्यार्थियों को पीछे छोड़ा
सुशीला गणेश्वर के राजकीय वरिष्ठ उपाध्याय संस्कृत विद्यालय में पढ़ती है। यहां दसवीं कक्षा में 40 विद्यार्थियों में सुशीला टॉप रही है। स्कूल प्रबंधन तो यहां तक कह रहा है कि सुशीला का राज्य मेरिट में भी नम्बर आया होगा, जो माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से जानकारी लेने पर ही पता चलेगा। वैसे माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अजमेर पिछले कई साल से छात्रों की मेरिट जारी नहीं करता।
सर्व समाज करेगा होनहार बेटी का सम्मान
विद्यालय प्रशासन, कुमावत समाज एवं समाज सेवी रामनारायण अग्रवाल, पूर्व सरपंच घासीलाल अग्रवाल, गोपाल सिंह तंवर, रावतार शर्मा, भगुराम कुमावत का कहना है बेटी का हौसला बढ़ाया जाना चाहिए। मुफलीसी में पल-बढ़कर अव्वल रहने वाली इस बेटी का 15 अगस्त 2018 को सर्व समाज की ओर से सम्मान किया जाएगा।