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अब दिल्ली में दोहराया जाएगा सीकर किसान आंदोलन, 3 अक्टूबर को हिसार में किसान लेंगे ये सबसे बड़ा फैसला

देश में सीकर किसान आंदोलन रोल मॉडल के रूप में होगा लागू, फिर किसान करेंगे दिल्ली के लिए कूच

सीकरSep 30, 2017 / 11:50 am

vishwanath saini

सीकर . 13 दिन हजारों किसानों द्वारा सीकर में किया गया आंदोलन अब देशभर में रोल मॉडल के तौर पर लागू किया जाएगा, ताकि फसलों से होने वाले नुकसान के कारण आत्महत्या करने वाले किसानों को संघर्षरत रहने का रास्ता दिखाया जा सके। इसके लिए तीन अक्टूबर को हरियाणा (हिसार) में राष्ट्रीय स्तर का तीन दिवसीय किसान सम्मेलन होगा।

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सम्मेलन में रोल मॉडल की घोषणा कर दिल्ली की सरकार को घेरने की रणनीति का खुलासा किया जाएगा, ताकि केंद्र सरकार पर दबाव बनाकर स्वामी नाथन आयोग की सिफारिश को लागू कराया जा सके। अखिल भारतीय किसान सभा के प्रदेशाध्यक्ष पेमाराम ने बताया कि पांच लाख किसानों को जोडऩे के लिए गांव-गांव ढाणी-ढाणी में कमेटी व सदस्य बनाए जा रहे हैं। कर्जा माफी के लिए सीकर से शुरू हुआ किसानों का आंदोलन राजस्थान में फैला।

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हजारों किसानों के साथ नौजवान, विद्यार्थी, मजदूर व व्यापारियों ने भी इसमें भागीदारी निभाई। बिना हिंसा के शांतिपूर्ण चले आंदोलन ने राज्य सरकार को झुकाया भी। आखिरकार किसान के 50 हजार का कर्जा माफ करने की घोषणा सरकार को करनी पड़ी। यह आंदोलन जिस तरह लड़ा गया इसी की तर्ज पर किसानों के नए आंदोलन की शुरुआत देशभर में की जाएगी।

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स्वामीनाथन की सिफारिश केंद्र सरकार माने और लागत का डेढ़ गुना भाव किसान को मिले, इसके लिए अगला निशाना दिल्ली की सरकार होगी। कूच कर मोदी सरकार पर दबाव बनाया जाएगा। अखिल भारतीय किसान सभा के जिला कमेटी सदस्य किशन पारीक के अनुसार खेती में घाटा होने के कारण मौत को गले लगाने वाले किसानों को नया सबक मिला है कि हकों की लड़ाई लडऩे पर सफलता हासिल की जा सकती है। आंदोलन को रोल मॉडल बनाकर शेखावाटी में नहर लाने का प्रयास भी किया जाएगा।
महापड़ाव ने उड़ाई थी नींद
एक सितंबर को सीकर की कृषि उपज मंडी में हजारों किसानों ने महापड़ाव डालकर आंदोलन की शुरुआत की। दो को ढोल पीटकर रात को पुलिस और प्रशासन की नींद ***** की। चार सितंबर को बड़ी सभा व मुख्यमंत्री के पुतले की शवयात्रा निकाली। 11 सितंबर को कच्चे-पक्के सभी रास्ते बंद रखे। इसके बाद 13 को सरकार के समझौता के बाद 14 सितंबर को मंडी परिसर में जश्न के साथ आंदोलन समाप्त किया गया।

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