कॅरियर की बदलती राहों के बीच अब यूथ के पढ़ाई का पैटर्न भी बदल रहा है। बदलते दौर में क्लास रूम टू कॅरियर के तहत बारहवीं के साथ अपने लक्ष्य को भेदने वाले युवाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। पहले युवाओं की ओर से सिर्फ नीट, जेईई की ही बोर्ड कक्षाओं के साथ तैयारी की जाती थी, लेकिन अब एनडीए, क्लैट, सीयूसीईटी सहित अन्य प्रवेश व प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए यह बदलाव शुरू हो गया है। यही वजह है कि पहले ही चांस में परीक्षाएं क्रैक करने वाले युवाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। विद्यार्थियों के बदलती सोच की वजह से शिक्षानगरी सीकर, कोटा, जयपुर, अजमेर, उदयपुर व बीकानेर की कई स्कूलों की ओर से ‘क्लासरूम टू कॅरियर’ प्रोग्राम शुरू किया गया है। स्कूल में शिक्षकों की ओर से ‘क्लासरूम टू कॅरियर’ प्रोग्राम तहत अलग से तैयारी कराई जाती है।
केस एक: 12वीं के साथ क्लैट में टॉप रैंक
सीकर निवासी पलक भींचर ने ग्यारवीं के साथ ही क्लैट की तैयारी शुरू कर दी। इसके दम पर 12वीं के साथ ही अखिल भारतीय स्तर पर 57वीं रैंक हासिल की है। ओबीसी वर्ग में तीसरी रैंक हासिल की है। यह भी पढ़ें
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केस दो: कॅरियर की तैयारी कर दी शुरू
सीकर निवासी आयुष सिहाग, किस्मत, वैदिक विश्नोई, महेन्द्र गुप्ता, राहुल यादव सहित कई विद्यार्थियों ने क्लैट में 12वीं के साथ सफलता हासिल की है। पत्रिका से युवाओं ने बताया कि 12वीं के साथ कॅरियर की तैयारी शुरू कर दी थी।बदलाव: रोज लगती कॅरियर की क्लास
क्लासरूम टू कॅरियर प्रोग्राम वाले स्कूलों में दाखिले के समय ही छात्र के पसंदीदा कॅरियर क्षेत्रों के बारे में पूछा जाता है। फिर स्कूलों में समय प्रबंधन उसी हिसाब से किया जाता है। एक घंटा कॅरियर के गोल वाले पाठ्यक्रम की अलग से तैयारी कराई जाती है।इसलिए बदल रहे पैटर्न
प्रतियोगी के साथ प्रवेश परीक्षाओं का सिलेबस बोर्ड परीक्षा से मिलता-जुलता। बोर्ड परीक्षा की वजह से घर से लेकर स्कूल में पढ़ाई का उचित माहौल। नौकरियों में बोर्ड परीक्षाओं के अंकों का महत्व कम। यह भी पढ़ें
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स्कूल में कॅरियर को फोकस करते हुए तैयारी से कोचिंग के अतिरिक्त खर्चा भी नहीं। कॅरियर के सपनों को लेकर युवा काफी उत्साहित है। अब कॅरियर को लेकर युवा आठवीं क्लास से ही अपने कॅरियर के सपनों में रंग भरना शुरू कर देते हैं। पहले युवाओं का फोकस बोर्ड कक्षाओं पर सबसे ज्यादा होता था, लेकिन अब युवाओं की ओर से 11वीं व 12वीं के साथ ही तैयारी शुरू कर दी जाती है। इससे पहली बार में अपने कॅरियर के लक्ष्य को कैक करने वाले विद्यार्थियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इस वजह से शिक्षण संस्थाओं की ओर से लगातार नवाचार किए जा रहे हैं। डॉ. पीयूष सुण्डा, कॅरियर काउंसलर, सीकर