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Salasar Balaji Dham : 264 साल पहले राजस्थान के धोरों में ऐसे हुई दाढ़ी मूंछ वाले बालाजी के मंदिर की स्थापना

Salasar Balaji Story in Hindi

सीकरAug 19, 2018 / 06:56 pm

vishwanath saini

Salasar Balaji churu

Salasar Balaji Story in Hindi

सालासर. सालासर बालाजी धाम 264 साल का हो गया। सिद्धपीठ सालासर बालाजी का 264वां स्थापना दिवस रविवार को धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर इंदौर, अजमेर, व जयपुर के कलाकारों ने खुशबूदार पुष्पों से मंदिर की विशेष सजावट की। इससे पूरा मंदिर महक उठा।

सालासर मन्दिर को इन्दौर के लाइट डेकोरेशन कलाकारों द्वारा जगह-जगह रंगीन लाइट लगाकर सजाया गया। मंदिर में जगह-जगह श्रद्धालुओं की टोलियां हनुमान चालीसा, सुन्दरकांड की चौपाइयां गा रहे थे। दर्शनों के लिए सुबह से ही मंदिर में श्रद्धालुओं की लम्बी कतार लग गई।

श्रद्धालुओं ने काटा केक

सालासर बालाजी के स्थापना दिवस 2018 के अवसर पर देश के कोने -कोने से आए श्रद्धालुओं ने बालाजी मंदिर में दर्शन के बाद केक काटा और बालाजी को हैप्पी बर्थ डे कहा।

असम के मुख्यमंत्री ने बालाजी के लगाई धोक
असम के मुख्यमंत्री सर्वानन्द सोनोवाल ने सालासर बालाजी महाराज के दर्शन कर पूजा-अर्चना की। मुख्यमंत्री सोनोवाल ने कहा कि मंदिर की स्थापना दिवस के अवसर पर मुझे बालाजी महाराज के दर्शन करने का अवसर मिला। यह मेरे लिए सौभाग्य की बात हैं।


सालासर में मुख्यमंत्री की देवस्थान मंत्री राजकुमार रिणवा व बिहारीलाल पुजारी ने अगवानी की। मुख्यमंत्री को मंदिर में हनुमान सेवा समिति अध्यक्ष यशोदानन्दन पुजारी, उपाध्यक्ष मनोज पुजारी, जिला महामंत्री धर्मवीर पुजारी, बनवारी पुजारी, बबलू पुजारी, कमल पुजारी आदि ने पूजा-अर्चना कराई।

सालासर बालाजी धाम का इतिहास

-सालासर बालाजी धाम राजस्थान के चूरू जिले में सीकर जिले की सीमा पर स्थित है।
-चूरू के गांव सालासर में बालाजी मंदिर की स्थापना का इतिहास बड़ा रोचक है।
-मोहनदास बालाजी के भक्त थे। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर बालाजी ने इन्हें मूर्ति रूप में प्रकट होने का वचन दिया।
-कहा जाता है कि भक्त मोहनदास को दिया वचन पूरा करने के लिए बालाजी नागौर जिले के आसोटा गांव में 1811 में प्रकट हुए।
-किदवंती है कि आसोटा में एक जाट खेत जोत रहा था तभी उसके हल की नोक किसी कठोर चीज से टकराई।
-उसे निकाल कर देखा तो एक पत्थर था। जाट ने अपने अंगोछे से पत्थर को पोंछकर साफ किया तो उस पर बालाजी की छवि नजर आने लगी।
-इतने में जाट की पत्नी खाना लेकर आई। उसने बालाजी के मूर्ति को बाजरे के चूरमे का पहला भोग लगाया।

-यही कारण है कि सालासर बालाजी को चूरमे का भोग लगता है।

-कहते हैं कि जिस दिन जाट के खेत में यह मूर्ति प्रकट हुई उस रात बालाजी ने सपने में आसोटा के ठाकुर को अपनी मूर्ति सलासर ले जाने के लिए कहा।

-दूसरी तरफ बालाजी ने मोहनदास को सपने में बताया कि जिस बैलगाड़ी से मूर्ति सालासर पहुंचेगी उसे सालासर पहुंचने पर कोई नहीं चलाए।
-जहां बैलगाड़ी खुद रुक जाए वहीं मेरी मूर्ति स्थापित कर देना। मूर्ति को उस समय वर्तमान स्थान पर स्थापित किया गया।
-पूरे भारत में एक मात्र सालासर में दाढ़ी मूछों वाले हनुमान यानी बालाजी स्थापित हैं।
-इसके पीछे मान्यता यह है कि मोहनदास को पहली बार बालाजी ने दाढ़ी मूंछों के साथ दर्शन दिए थे।

सड़क मार्ग से ऐसे पहुंचे सालासर बालाजी धाम

दिल्ली से 1.) नयी दिल्ली -> गुरुग्राम (गुडग़ाँव) -> रेवाड़ी -> नारनौल -> चिडावा -> झुंझुनू -> मुकुंदगढ़ -> लक्ष्मणगढ़ -> सालासर बालाजी (318 किलोमीटर)

(आपको रेवाड़ी रोड़ से राष्ट्रीय राजमार्ग-8 को छोड़कर रेवाड़ी से झुंझुनूं जाने वाला रास्ता लेना होगा) (सबसे छोटा रास्ता)

2.) नयी दिल्ली -> गुरुग्राम -> बहरोड़ -> नारनौल -> चिडावा -> झुंझुनूं -> मुकुंदगढ़ -> लक्ष्मणगढ़ -> सालासर बालाजी (335 किलोमीटर)

(ऊपर बताए गए रास्ते से यह मार्ग बेहतर है, आपको बहरोड़ से राष्ट्रीय राजमार्ग-8 छोडऩा होगा, लेकिन बहरोड़-चिडावा-झुंझुनंू वाला रास्ता बहुत खराब है)
3.) नयी दिल्ली -> गुरुग्राम -> बहरोड़ -> कोटपुतली -> नीमकाथाना -> उदयपुरवाटी -> सीकर -> सालासर बालाजी (335 किलोमीटर) (आपको कोटपुतली से राष्ट्रीय राजमार्ग-8 छोडऩा होगा)
4.) नयी दिल्ली -> गुरुग्राम -> बहरोड़ -> कोटपुतली-> शाहपुरा-> अजीतगढ़ -> सामोद -> चौमूँ -> सीकर -> सालासर बालाजी (392 किलोमीटर) (आपको शाहपुरा से राष्ट्रीय राजमार्ग-8 छोडऩा होगा) इसे सामोद मार्ग के रूप में भी जाना जाता है।
5.) नयी दिल्ली -> गुरुग्राम -> बहरोड़ -> कोटपुतली-> शाहपुरा -> चंदवाजी -> चौमूँ -> सीकर -> सालासर बालाजी (399 किलोमीटर) (आपको शाहपुरा से राष्ट्रीय राजमार्ग-8 छोडऩा होगा) इसे चंदवाजी मार्ग भी कहा जाता है। हालाँकि यह मार्ग लम्बा है, इसकी लम्बाई लगभग 225 किलोमीटर है, परन्तु राष्ट्रीय राजमार्ग-8 एक्सप्रेस-वे पर गाड़ी चलाकर आराम से जा सकते हैं।
6.) नयी दिल्ली -> बहादुरगढ़ -> झज्झर -> चरखीदादरी -> लोहारू -> चिड़ावा -> झुंझुनूं -> मुकुंदगढ़ -> लक्ष्मणगढ़ -> सालासर बालाजी (302 किलोमीटर) यह नया रास्ता है जिसे कम भक्त जानते हैं।
7.) नयी दिल्ली -> रोहतक -> हिसार -> राजगढ़ -> चूरू -> फतेहपुर -> सालासर बालाजी (382 किलोमीटर)

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