वैकल्पिक रहेगी व्यवस्था गाइडलाइन के अनुसार, टोकन व्यवस्था ग्राहकों की इच्छा पर निर्भर करेगी। इसे लेने के लिए ग्राहकों पर कोई दबाव नहीं बनाया जाएगा। ग्राहक इस व्यवस्था के तहत डेली ट्रांजेक्शन की लिमिट भी तय कर सकते हैं। कोई भी स्टोर संचालक ग्राहक के डेबिट-क्रेडिट कार्ड का विवरण स्टोर नहीं कर सकेंगे। जिससे लेन-देन सुरक्षित होगा। ऑनलाइन धोखाधड़ी का खतरा कम हो जाएगा। ग्राहक हर ट्रांजेक्शन की लिमिट के साथ-साथ रोजाना लेनदेन की लिमिट भी तय कर सकते हैं।सबसे अच्छी बात है कि टोकनाइज्ड पेमेंट सिस्टम में भाग लेने वाली सभी कंपनियों आरबीआई से पंजीकृत होंगी और ग्राहकों की भी मंजूरी लेनी होगी