फरवरी मार्च में बढ़ेगा फायदा
सीकर में सर्दी के सीजन का प्याज अगस्त माह में बोया जाता है। रोपाई के समय मौसम अनुकूल नहीं रहने के कारण कई जगह प्याज की पौध नष्ट हो गई थी। जिसके बाद प्याज के भाव तेज होने शुरू हो गए। इस पर किसानों ने महंगे भावों में प्याज लगाया और तैयार होने से पहले से खुदाई शुरू कर दी। जिले में इस बार सर्दी के सीजन वाले प्याज की बुवाई 13 हजार हेक्टैयर में हुई है।
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आमजन को थोड़ी राहत
किसानों के समय से पहले प्याज की खुदाई करने से आमजन को थोड़ी राहत मिली है। लोगों का कहना है कि नए प्याज आने से भावों में थोड़ी गिरावट आने की वजह से राहत मिली है। वहीं किसानों का कहना है कि कोल्ड स्टोरेज की सुविधा नहीं होने की वजह से परेशानी बढ़ रही है।
पांच से ज्यादा राज्यों में सप्लाई होता है प्याज
सीकर के प्याज की मीठे प्याज के तौर पर लगातार पहचान बढ़ रही है। मंडी के कारोबारियों ने बताया कि यहां का मीठा प्याज पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल, उत्तराखंड आदि राज्यों में सप्लाई होता है। सीजन में रोजाना 25 हजार तक कट्टे तक जाते है।जिले के 50 हजार किसान प्याज की खेती से जुड़े हुए है। सबसे ज्यादा धोद ब्लॉक में प्याज की खेती होती है।
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उम्मीद : कोल्ड स्टोरेज बने तो मिले राहत
प्याज की खेती करने वाले किसानों ने बताया कि मीठे प्याज में पानी की मात्रा काफी रहती है। इस वजह से यह खराब भी जल्दी हो जाता है। यदि किसानों के लिए सरकार कोल्ड स्टोरेज तैयार करवाकर दें तो किसानों को राहत मिल सकती है। सीकर के प्याज उत्पादक किसानों के लिए कोल्ड स्टोरेज बनाने का मुद्दा दस साल से गूंज रहा है। इसके बाद भी सरकार किसानों को राहत नहीं दे सकी है। इसका खामियाजा किसानों को हर साल कम भावों में प्याज बेचने से हो रहा है।
समय से पहले प्याज को खोद रहे हैं किसान – देवीलाल चौधरी
प्याज के थोक विक्रेता देवीलाल चौधरी ने कहा, सीकर मंडी में सांवलोदा, मैलासी क्षेत्र का प्याज आ रहा है। भाव लेने के लिए कई किसान समय से पहले इस प्याज को खोद लेते हैं। इस प्याज में पानी की मात्रा ज्यादा होने से भाव कम रहते हैं।
सीकर के प्याज की दीवानी जनता
जयपुर निवासी उम्मेद सिंह ने बताया कि वह छह साल से बीकानेर में पदस्थापित है। इसलिए सीकर बाईपास से हर सप्ताह निकलना होता है। उनका कहना है कि वह सीकर के प्याज लेना कभी नहीं भूलते। उनका कहना है कि तीन साल पहले बीकानेर के लोगों ने सीकर के मीठे प्याज के बारे में बताया था। उन्होंने बताया कि अब तो सैकड़ों लोग जयपुर-बीकानेर बाईपास को प्याज वाले बाईपास के नाम से ही जानते है।
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