पहले हर जिले में अलग पेपर, अब एकरूपता
पहले शिक्षा विभाग की ओर से जिला स्तर पर जिला समान प्रश्न पत्र योजना के तहत कराई जा रही थी। लेकिन इस बार इनको राज्य स्तर पर कराने की तैयारी में है। शिक्षा विभाग का दावा है कि प्रदेशभर में एक साथ परीक्षा होने से विद्यार्थियों का बेहतर मूल्यांकन हो सकेगा। यह भी पढ़ें
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एक परीक्षा की राह में चुनौतियां कई
1- सिलेबस: 50 फीसदी पाठ्यक्रम तक पूरा नहीं प्रदेश के कई निजी स्कूलों में 60 से 70 फीसदी तक पाठ्यक्रम पूरा हो चुका है। जबकि कई निजी स्कूल ऐसे है जहां अभी तक पाठ्यक्रम 40 से 50 फीसदी तक ही पूरा हुआ है। ऐसे में विद्यार्थियों का कैसे बेहतर मूल्यांकन हो सकेगा। वहीं विभाग ने अभी तक सिलेबस व परीक्षा पैटर्न को लेकर कोई आदेश जारी नहीं किया है। 2- प्रश्न पत्रों की सुरक्षा: प्रदेश में पेपर लीक बड़ा मुद्दा हैं प्रतियोगी परीक्षाओं से लेकर समान परीक्षा के प्रश्न पत्र लीक हो चुके है। ऐसे में यदि पूरे राजस्थान के लिए एक ही प्रश्न पत्र स्कूली विद्यार्थियों के लिए तैयार होते है तो प्रश्न पत्रों की सुरक्षा भी बड़ी चुनौती रहेगी। यदि प्रतियोगी परीक्षाओं की तर्ज पर प्रश्न पत्रों को कोष कार्यालय में रखवाया जाता है तो परिवहन सहित अन्य खर्च बढ़ना तय है।
नवाचार से घटेगा ड्रॉप आउट का आंकड़ा
प्रदेश स्तरीय परीक्षा के नवाचार से बोर्ड कक्षाओं का ड्राप आउट कम होने की पूरी संभावना है। वहीं इस नवाचार से राजस्थान शैक्षिक गुणवत्ता की दृष्टि से नए आयाम भी स्थापित कर सकेगा। विभाग को जल्द परीक्षा को लेकर नीति जारी करनी चाहिए जिससे भ्रम की स्थिति दूर हो सके। विपिन प्रकाश शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष, राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ
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