दरअसल, इसके पीछे वजह यह है कि राज्य सरकार की ओर से अभी भी महिला एवं बाल विभाग की ओर से आंगनबाड़ी केन्द्रों की कर्मचारियों को मानदेय कर्मी तक नहीं माना गया है। महंगाई के इस दौर में न्यूनतम मजदूरी नहीं मिलने की वजह से हर सरकार के समय महिलाओं की ओर से आंदोलन भी किए, लेकिन अभी इनके नियमित होने का रास्ता साफ नहीं हो सका है।
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चुनाव में ड्यूटी, मजदूरी भी नहीं
आंगनबाड़ी विभाग में कार्यरत आशा देवी ने बताया कि चुनाव से लेकर टीकाकरण सहित अन्य कार्य में विभाग की मानदेय कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाती है। इसके बाद भी महिलाओं को न्यूतनम मजदूरी भी नहीं मिल रही है। उन्होंने बताया कि हर सरकार के समय आंदोलन किए और सरकारों से आश्वासन भी मिले, लेकिन स्थायी नौकरी अभी तक नहीं मिली है।इससे अच्छा तो तैयारी कर लेते
एमए-बीएड शिक्षित मानदेय कर्मचारी संगीता ने बताया कि विभाग में तैयारी के साथ जॉब के हिसाब से इस विभाग में कार्यग्रहण कर लिया। काम की अधिकता की वजह से तैयारी भी छूट गई। विभाग में रोजाना आठ से दस घंटे काम करने के बाद भी सरकार की ओर से नियमित नहीं किया गया है। महंगाई के दौर में मानदेय कर्मचारियों का मानदेय काफी कम है। यह भी पढ़ें