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Rajasthan Education News: राजस्थान के शिक्षा विभाग ने सात महीने में इन सात आदेशों पर मारी पलटी, पदोन्नति आदेश भी चार महीने से अधर में

Rajasthan Education Department: राजस्थान में अपने ही आदेशों को बदलने से शिक्षा विभाग में कोई नया काम होते नहीं दिख रहा है। वहीं,शिक्षकों में भी हर समय गफलत की स्थिति बनी रहने लगी है।

सीकरSep 15, 2024 / 10:57 am

Anil Prajapat

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स​चिन माथुर
सीकर। राजस्थान का शिक्षा विभाग मखौल का महकमा बनता जा रहा है। आप दिन नए आदेशों के बाद विभाग उस पर पलटी मार रहा है। आलम ये है कि सात महीने में विभाग सात फैसलों को वापस ले चुका है। वहीं, स्कूलों के एकीकरण व पदोन्नति के आदेश को चार महीने से अधर में अटका रखा है। लिहाजा जहां शिक्षा विभाग में कोई नया काम होते नहीं दिख रहा तो शिक्षकों में भी हर समय गफलत की स्थिति बनी रहने लगी है।
एकीकरण, पदोन्नति व समायोजन के आदेश से शिक्षकों में स्कूल बदलने की गफलत से वे शिक्षण कार्य पर केंद्रित नहीं हो पा रहे। सरकारी स्कूलों के पद नहीं भरे जाने से बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। अंग्रेजी माध्यम स्कूल बंद करने व प्रवेश आयु के आदेशों का असर स्कूलों में कम नामांकन के रूप में दिखा। मोबइल बैन के आदेश से भी शिक्षा विभाग के आनलाइन कार्य प्रभावित हुए थे।

पदोन्नति व एकीकरण अटका

इधर, शिक्षा विभाग के दो फैसले भी अब तक अधर में अटके हैं। इनमें पहला वरिष्ठ शिक्षकों की पदोन्नति व दूसरा कक्षा 6 से 12 व 9 से 12 की 186 सरकारी स्कूलों में नजदीकी प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों के एकीकरण का है। जिसके लिए आदेश तो कई बार हुए पर अमल अब तक नहीं हुआ है।
Rajasthan education department

ये सात आदेश हुए वापस

1. ट्रांसफर पॉलिसी: प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद सबसे पहले शिक्षकों की तबादला नीति को 100 दिन की कार्ययोजना में शामिल किया गया। पर संशोधित योजना में इसे वापस ले लिया गया।

2. अंग्रेजी से हिंदी माध्यम: शिक्षा मंत्री के बयान के बाद शिक्षा विभाग ने महात्मा गांधी स्कूलों को हिंदी माध्यम में बदलने के निर्देश जारी किए थे। जिसके लिए 38 बिंदुओं पर सर्वे भी करवाया गया। पर बाद में फैसला वापस ले लिया गया।

3. मोबाइल पर प्रतिबंध: शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के बयान के बाद शिक्षा विभाग ने 4 मई को सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के मोबाइल पर प्रतिबंध लगाया गया। पर पिछले महीने कुछ शर्तों के साथ फिर अनुमति दे दी गई।

4. 6(3) का आदेश: 17 मई को विभाग ने पंचायती राज शिक्षकों की 6(3) कर उनके सेटअप परिवर्तन का कार्यक्रम तय किया। कुछ दिनों बाद ही उसे वापस ले लिया गया।

5. प्रवेश की आयु: प्रवेशोत्सव से पहले नई शिक्षा नीति का हवाला देकर शिक्षा विभाग ने छह साल के बच्चों का ही प्रवेश करने के आदेश जारी किए थे। पर सरकारी स्कूलों में नामांकन घटने व शिक्षकों के विरोध के बाद विभाग ने फैसला बदलते हुए आंगनबाड़ी के पांच साल के बच्चों के प्रवेश की भी छूट दे दी।

6. दूध योजना बंद कर चालू की: दूध की सप्लाई प्रभावित होने पर शिक्षा मंत्री ने इसी महीने गहलोत सरकार की बाल गोपाल योजना बंद कर स्कूलों में मोटा अनाज देने की घोषणा की थी। पर बाद में दूध की सप्लाई ही फिर से चालू कर दी गई।

7. शिक्षकों का समायोजन: प्रदेश की सरकारी स्कूलों में अधिशेष 67 हजार शिक्षकों के समायोजन के लिए हाल में आदेश जारी कर 18 सितंबर से प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश जारी किए गए थे। पर उस आदेश को भी वापस ले लिया गया।
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    स्कूल प्रबंधन पर नकारात्मक असर

    शिक्षा विभाग में बार-बार आदेश वापसी से सरकार व शिक्षा विभाग कनफ्यूज्ड लग रहे हैं। इससे शिक्षकों में गफलत बढ़ने सहित स्कूल प्रबंधन पर भी नकारात्मक असर पड़ रहा है। विभाग को तबादला नीति, पदोन्नति, समायोजन आदि पर गंभीरता से व जल्द काम करना चाहिए।
    -उपेंद्र शर्मा, प्रदेश महामंत्री, राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत।

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