व्याख्याताओं की कमी से जूझ रहे सरकारी स्कूलों के बच्चों को कुछ राहत मिल सकेगी। पर ये राहत अब भी अधूरी होगी। उप प्रधानाचार्य व तृतीय श्रेणी शिक्षकों की डीपीसी का मुद्दा कोर्ट में विचाराधीन होने से अब भी केवल सैकंड ग्रेड शिक्षकों की ही डीपीसी हो सकेगी। लेकिन, इन प्रकरणों के निस्तारण के साथ यदि सरकार सही क्रम से शिक्षकों की डीपीसी करे तो उससे प्रदेश के 74हजार शिक्षकों की पदोन्नति हो सकती है। जिसका फायदा सरकारी स्कूल की शिक्षण व्यवस्था के साथ आगामी भर्तियों में भी होगा।
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पहले व्याख्याताओं की हो पदोन्नति
एक्सपर्ट्स के अनुसार सरकार सबसे पहले 2021-22 व इसके बाद 2022-23 के व्याख्याताओं की पदोन्नति करे। इस बीच उप प्रधानाचार्य पदोन्नति के न्यायालय प्रकरण का निस्तारण करवाने का प्रयास कर पदोन्नत हो चुके 10 हज़ार व्याख्याताओं को पदस्थापन दे। उसके बाद सरकार के शिथिलन की अनुपालना में उनमें से 6331 उप प्रधानाचार्यों की पुन: डीपीसी कर उन्हें प्रधानाचार्य पद पर पदस्थापन दिए जाएं।
प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नति से रिक्त हुए 6331 व पहले से रिक्त चल रहे दो हज़ार पदों को मिलाकर आठ हजार व्याख्याताओं की उप प्रधानाचार्य पद पर फिर डीपीसी कर उन्हें पदस्थापित किया जाए। इसके बाद व्याख्याता पद के लिए 2023-24 और 2024-25 की डीपीसी कर सारे रिक्त पद भर दिए जाए।
इस प्रक्रिया में 19000 वरिष्ठ अध्यापकों को व्याख्याता पद पर पदोन्नति का मौक़ा मिल सकेगा।इसी बीच वरिष्ठ अध्यापकों के लिए एडिशनल विषय को लेकर चल रहे विवाद का न्यायालय में निस्तारण करवा कर सरकार को बकाया तीन डीपीसी और एक अप्रेल 2024 को लंबित हो रही चौथी डीपीसी कर 30 हजार थर्ड ग्रेड शिक्षकों को पदोन्नत कर पद स्थापित कर दिया जाना चाहिए । इससे प्रदेश के करीब 74 हजार शिक्षकों के खाली पद पदोन्नति से भरे जा सकते हैं।
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भर्ती के लिए खाली होंगे पद
समय पर सही तरीके से पदोन्नति से सरकारी स्कूल के शिक्षकों व बच्चों के साथ बेरोजगार अभ्यर्थियों को भी लाभ होगा। प्रधानाचार्य से थर्ड ग्रेड शिक्षकों तक की पदोन्नति से प्रदेश में थर्ड ग्रेड के 30 हजार पद भी खाली होंगे। जो आगामी नई भर्ती का रास्ता भी तय करेंगे । यदि सरकार मजबूत पैरवी के साथ कोर्ट में चल रहे प्रकरणों का निस्तारण करवाकर ऊपर से नीचे तक के पदों की व्यवस्थित व समयबद्ध डीपीसी करवाए तो शिक्षकों व बच्चों के साथ बेरोजगार अभ्यर्थियों को भी फायदा होगा। सरकार को इस दिशा में कदम उठाना चाहिए।
जगदीश चोटिया, पूर्व उप निदेशक, स्कूल शिक्षा
माननीय न्यायालय में चल रहे प्रकरणों का उचित निस्तारण और पदोन्नति प्रक्रिया को त्वरित गति देने के लिए निदेशालय स्तर पर एक अलग सैल गठित कर मई 2024 तक बकाया चार डीपीसी पूर्ण कर सरकार शिक्षकों बच्चों और बेरोजग़ारों को राहत प्रदान कर सकती है। इससे नए सत्र में रिक्त पद भरने से नामांकन और शैक्षिक गुणवत्ता दोनों में वृद्धि होगी।
उपेन्द्र शर्मा प्रदेश महामंत्री, राजस्थान शिक्षक संघ ( शेखावत)