सीकर, चूरू और झुंझुनूं के लोगों की सियासत में पूरी भागीदारी होने के बाद भी शेखावाटी संभाग का सपना अधूरा है। प्रभारी मंत्री से लेकर सीकर जिले के विधायक लगातार कार्यक्रमों में घोषणा करते हैं कि सरकार से जो मांगा वह यहां की जनता के लिए दिया है। अगले महीने सरकार के चार साल पूरे होने को है। लेकिन सीकर, चूरू, झुंझुनूं जिले की जनता की शेखावाटी संभाग की मांग अभी तक पूरी नहीं हो सकी। पिछले 20 साल से शेखावाटी संभाग की मांग गूंज रही है। विधानसभा चुनाव के दौरान सभी दलों की ओर से सियासी दावे-वादे भी किए जाते है, लेकिन इस घोषणा को अभी तक धरातल नहीं मिल पाया है। प्रदेश में सबसे आखिरी संभाग भरतपुर को घोषित किया गया था। जनसंख्या व क्षेत्रफल सहित अन्य मापदंडों के हिसाब से भरतपुर संभाग से शेखावाटी संभाग बड़ा ही रहेगा। इस बार के बजट में हमारी दावेदारी मजबूत भी है कि क्योंकि क्षेत्रफल सहित अन्य पेरामीटर सीकर संभाग पूरा करता है।
दावा इसलिए मजबूत: जनसंख्या व क्षेत्रफल के मापदंड पूरे
शेखावाटी संभाग में सीकर, चूरू व झुंझुनूं जिलों को शामिल करने की मांग उठ रही है। एक्सपर्ट का कहना है कि यदि सीकर, चूरू व झुंझुनूं जिले को मिलाकर संभाग बनाया जाए तो कुल क्षेत्रफल 2752943 वर्ग किलोमीटर हो सकता है। जबकि भरतपुर संभाग का कुल क्षेत्रफल 18128 वर्ग किलोमीटर है। यानि सीकर संभाग बनने पर भरतपुर से 9401.43 वर्ग किलोमीटर बड़ा क्षेत्र रहेगा। यदि वर्ष 2011 की जनसंख्या की बात करें तो भरतपुर संभाग की कुल जनसंख्या 65.52 लाख है। जबकि सीकर, चूरू व झुंझुनूं जिले की जनसंख्या 68.53 लाख है।
अब तक क्या: दस साल में दो समिति गठित, परिणाम शून्य
प्रदेश में नए जिले व संभाग बनाने को लेकर पिछली भाजपा सरकार के समय प्रशासनिक समिति का गठन किया गया था। इस समिति के सदस्यों को शेखावाटी के लोगों ने सीकर को संभाग बनाने का भी प्रस्ताव दिया था। लेकिन इस समिति की रिपोर्ट अब तक लागू नहीं हो सकी। वहीं कांग्रेस राज में भी हमारी मांग प्रमुखता से गूंजी। कांग्रेस सरकार ने भी जिले व संभाग बनाने के लिए समिति गठित की। लेकिन समिति की रिपोर्ट अब तक लागू नहीं हो सकी।
आठ विधायक, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भी सीकर से
सीकर जिले के सात विधायक कांग्रेस के सिम्बल पर जीतकर विधानसभा पहुंचे। जबकि खंडेला विधायक ने सरकार बनते ही कांग्रेस को समर्थन दे दिया। कांग्रेस को सबसे ज्यादा विधायक देने वाले सीकर जिले के लोगों को इस बार यह आस पूरी होने की आस है। वहीं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष व लक्ष्मणगढ़ विधायक गोविन्द सिंह डोटासरा भी सीकर जिले से है।
सीकर बनना चाहिए संभाग
शैक्षणिक संस्थाओं और क्षेत्रफल के हिसाब से सीकर संभाग बनना चाहिए। इससे प्रशासनिक ढांचा और मजबूत होगा। सीकर, चूरू व झुंझुनूं के लोगों को जयपुर व बीकानेर जाना पड़ता है। संभाग बनने से तीनों जिलों के लोगों को फायदा मिलेगा। कांग्रेस को अपना वादा निभाना चाहिए।
इंदिरा चौधरी, जिलाध्यक्ष, भाजपा
संभाग को लेकर मजबूत है पैरवी
शेखावाटी संभाग बनना चाहिए। सरकार तक जनता की आवाज पहुंचा दी है और लगातार मजबूत पैरवी भी की जा रही है।इससे सीकर, चूरू व झुंझुनूं जिले का विकास और अच्छे से होगा। पहले भी कांग्रेस ने शेखावाटी संभाग की आवाज उठाई थी।
सुनीता गिठाला, जिलाध्यक्ष, कांग्रेस
आठों विधायक कांग्रेस के, फिर मांग पूरी क्यों नहीं
जिले के आठों विधायक कांग्रेस के है। इसके बाद भी जनता की मांग पूरी नहीं हो रही है। नवलगढ़ पुलिया का बजट जारी हो गया, इसके बाद भी काम शुरू नहीं हो रहा है। चुनाव के समय कांग्रेस ने संभाग का वादा किया था। इस वादे को अब पूरा करना चाहिए। किसानों का कर्जा भी सरकार अब तक माफ नहीं कर सकी है।
किशन पारीक, सचिव, माकपा
अब तक हुए आंदोलन
-मरू प्रदेश निर्माण मोर्चा की दो बार पैदल मार्च किया गया।
-शेखावाटी संभाग की मांग को लेकर वर्ष 2013 में तीन महीने तक विभिन्न संगठनों ने संयुक्त मोर्चा बनाकर आंदोलन किया।
-वर्ष 2016 में छह महीने तक ज्ञापनों के जरिए सरकार को जगाया गया।
-2018 में सरकार ने कमेटी के सामने प्रस्ताव रखने का आश्वासन दिया।
-2021 में अभिभाषक संघ व भाजपा ने फिर से आंदोलन शुरू किया।
इसलिए हमें चाहिए शेखावाटी संभाग
-सीकर व झुंझुनूं फिलहाल जयपुर संभाग में शामिल है। यहां के लोगों को विभिन्न कार्यो के लिए जयपुर जाना पड़ता है। संभाग बनने पर परेशानी कम हो सकती है।
-चूरू जिला बीकानेर संभाग में शामिल है। इसकी चूरू जिले से दूरी लगभग 180 किलोमीटर है। इसलिए भी संभाग बनाने को लेकर हमारा दावा मजबूत है।
-शेखावाटी में छात्र संख्या के हिसाब से अलग से विवि बनाया गया है। इसलिए सीकर को संभाग बनाया जाना चाहिए।