ये विचार आए सामने:
सीकर में महिलाओं की रात में सुरक्षा, महिला शौचालय की सुविधा व कामकाजी महिलाओं के लिए हॉस्टल की आवश्यकता है।
डॉ. संपति मिश्रा, शिक्षाविद्
अस्पतालों में तिमारदारों के लिए भोजन-पानी की बड़ी परेशानी रहती है। इसके लिए हम प्रयास कर रहे हैं। शासन व प्रशासन को भी प्रयास करने चाहिए।
महेश टीबड़ा, अध्यक्ष, अग्रवाल, समाज प्रन्यास
जिले में दिव्यांगो की शिक्षा व रोजगार पर काम बहुत कम हो रहा है। उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोडऩे के लिए इस दिशा में काम होना चाहिए।
सुदीप गोयल, निदेशक, आशा का झरना स्कूल
सीकर में बेसहारा पशुओं के आवास- भोजन तथा महिलाओं के लिए सार्वजनिक शौचालय की कमी खूब सालती है। नगर परिषद को इस पर ध्यान देना चाहिए।
अभिलाषा रणवां, सचिव, मनु स्मृति संस्थान
खाद्य पदार्थों में कीटनाशक का प्रयोग जिले के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है। इसके खिलाफ बड़ी मुहिम चलाने की आवश्यकता है।
हरिराम रणवां, निदेशक, भारतीय शिक्षण समूह,
शहर में ऑडिटॉरियम की कमी सबसे ज्यादा खल रही है। शैक्षिक व अन्य गतिविधियों के लिए ऑडिटॉरियम जरूरी है।
सुभाष मील, निदेशक, श्रीराम कोचिंग क्लासेज
शिक्षा नगरी के रूप में स्थापित हो चुके सीकर में साइंस पार्क की स्थापना जरूरी है। इसे सरकार को पहली प्राथमिकता में रखना चाहिए।
कमल सिखवाल, निदेशक, विश्व भारती कॉलेज
महिलाओं में लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए उनकी प्रदर्शनी व प्रचार- प्रसार की जरूरत सबसे ज्यादा है। इसके लिए मंच मिलना चाहिए।
डा. दीपिका, सामाजिक कार्यकर्ता
शिक्षा की नगरी बन चुके सीकर को अब संस्कारों के साथ आईटी हब बनाने की आवश्यकता है। इस दिशा में शिक्षण संस्थानों को मिलकर प्रयास करने होंगे।
डॉ. पीयूष सुण्डा, निदेशक, प्रिंस एज्युकेशन हब, सीकर
वीर प्रसूता धरती शेखावाटी में महिलाओं के लिए डिफेंस एकेडमी की स्थापना होनी चाहिए। आत्म सुरक्षा के लिए भी प्रशिक्षण केंद्र खुलने चाहिए।
सीमा अग्रवाल, लॉयंस क्लब
बच्चों को नशे की लत से दूर रखना व बलात्कार पीडि़ताओं की शिक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
राजन चौधरी, झुंझुनूं, सामाजिक कार्यकर्ता
रक्तदान को बढ़ावा देने के साथ चिकित्सीय व्यवस्थाओं में सुधार व संस्कारों की जमीन तैयार करना पूरे शहर का मिशन हो।
आमिर खान किरड़ोली, अध्यक्ष, मारवाड फाउण्डेशन
नागरिकों का स्वास्थ्य सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। इसके लिए प्राकृतिक उत्पादन पर ध्यान देना चाहिए। इसके लिए अलग से शोध केंद्र खोला जाना चाहिए।
नागरमल कुमावत, सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी
पैदा होते ही नवजात बच्चियों को झाडिय़ों, नालियों व मंदिर की सीढिय़ों में फेंकना सीकर व मानवीयता पर कलंक है। जिसे धोने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
शिवपाल सिंह ख्यालिया, सामाजिक कार्यकर्ता
शिक्षा में संस्कार की कमी अपने हाथों मौत का कुआ खोदने जैसी है। प्रार्थना सभाओं से लेकर अन्य कार्यक्रमों के जरिये पाठशालाओं को संस्कारों की पाठशाला बनाने की मुहिम शुरू करनी होगी।
उपेन्द्र शर्मा, शिक्षक नेता, सीकर
समाज के लिए संस्कार जरूरी है। बच्चों को अध्यात्म से जोड़कर तथा मूल्य युक्त शिक्षा को बढ़ावा देना आज पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।
विमल जैन, सीकर
बच्चों को पौधरोपण का महत्व बताते हुए हर बच्चे से पौधरोपण करवाने व कृषि से जोडऩे का विशेष अभियान चलाना चाहिए। ताकि बच्चे प्रकृति से जुडऩे के साथ कृषि का महत्व समझें।
पद्म श्री सुंडाराम, नवाचारी किसान
सोशल मीडिया पर परोसी जा रही अश्लील व भ्रामक खबरें नई पीढ़ी के लिए सबसे बड़ा खतरा है। मीडिया व समाज को इसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।
विप्र फाउण्डेशन, राष्ट्रीय सदस्य
झुंझुनूं में मेडिकल कॉलेज व खेल विश्वविद्यालय की मांग लंबे समय से उठ रही है। जल्द ही सरकार को इसके लिए प्रयास करने चाहिए।
पीयूष डूकिया, शिक्षाविद्, झुंझुनूं
पर्यावरण व जल संकट शेखावाटी के लिए बड़ी परेशानी का सबब बनता जा रहा है। दोनों मुद्दों के लिए गंभीर प्रयास करने चाहिए।
डा. ताराचंद डोटासरा, निदेशक, शिक्षाविद्
प्रवासियों को शेखावाटी से जोड़कर यहां के उद्योग धंधों व विकास कार्यों को आगे बढ़ाया जाना चाहिए।
गोपाल पाण्डे, निदेशक, विद्याश्रम स्कूल, सीकर
जनप्रतिनिधि चुने जाने के बाद जनता व जनहित को भूल जाते हैं। उनके कार्यों के आधार पर उनका हर साल रिपोर्ट कार्ड तैयार होना चाहिए।
वीरपाल सिंह, झुंझुनूं
झुंझुनूं में काटली नदी के विकास के लिए पत्रिका का प्रयास सराहनीय है। शासन प्रशासन को भी नदी के संरक्षण के लिए उचित कदम उठाए।
सीएल शर्मा, झुंझुनूं
शेखावाटी में केवल झुंझुनूं जिला ही मेडिकल कॉलेज से अछूता रह गया है। सरकार को यहां भी जल्द कॉलेज की घोषणा कर विद्यार्थियों व आमजन को राहत पहुंचानी चाहिए।
नितिन अग्रवाल, झुंझुनूं
समाज के उत्थान के लिए संस्कारों को अगली पीढ़ी तक पहुंचना नितांत आवश्यक है। इसकी पहली जिम्मेदारी अभिभावकों व शिक्षण संस्थानों की है।
श्रवण चौधरी, निदेशक, सीएलसी, सीकर
शेखावाटी की शिक्षण संस्था परिणाम के मामलों में सबसे आगे है। यहां की शिक्षण संस्थाओं की धाक का डंका देश-दुनिया में गूंजे तो सभी को फायदा मिलेगा।
अशोक सिंह बड़ागांव, झुंझुनूं