टीम के वाहनों से फसलें खराब होती देख काश्तकारों ने भी टीम की कार्यवाही पर ऐतराज जताया। ऐसे में पैंथर के पकड़े नहीं जाने पर आसपास के इलाकों में रातभर दहशत रही। दो महीने में शहर के नजदीक पैंथर के तीसरी बार मूवमेंट ने वन्य जीव संरक्षण की पोल खोलने के साथ वन विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
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दिनभर दौड़ते रहे लोग
पैंथर की निगरानी के लिए गांव में लोग दिनभर दौड़ते रहे। वन विभाग की टीम के साथ स्थानीय लोग भी उसे गेहूं व सरसों की फसलों के बीच ढूंढते रहे। इस दौरान उप जिला प्रमुख ताराचंद धायल, कानाराम जाट आदि मौजूद रहे। डीएफओ रामावतार दूधवाल ने बताया कि पग मार्क व कुछ तस्वीरें गांव में पैंथर होने की पुष्टि कर रहे हैं। उसके पकड़ने के लिए जयपुर की टीम रात को जिले में ही रुकी है। पैंथर दो महीने में तीसरी बार शहर के पास आया है। इससे पहले जयपुर रोड स्थित सैनी कॉलोनी में 28 नवंबर और बाद में 24 दिसंबर को कुड़ली में दहशत फैलाते हुए पेंथर ने कई लोगों को घायल किया था।
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विरोध के साथ मुआवजे की मांग
पैंथर की तलाश में वन विभाग के वाहनों से आसपास की फसलें खराब हो गई। इससे लोगों ने टीम का विरोध करते हुए उनसे मुआवजे की मांग भी कर दी। हालांकि बाद में समझाइश से मामला शांत हो गया।
वन विभाग पर उठे सवाल
पैंथर के आबादी इलाके में लगातार तीसरे मूवमेंट से वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। मौके पर पहुंचे उप जिला प्रमुख ताराचंद धायल ने कहा कि वन विभाग द्वारा वन व पहाड़ी क्षेत्र में भोजन- पानी की व्यवस्था नहीं करने की वजह से पैंथर आबादी में आ रहे हैं। उस पर पेंथर को ट्रेंक्यूलाइज करने के विशेषज्ञ व साधन- संसाधन भी जिला मुख्यालय पर उपलब्ध नहीं है। ऐसे में टीम के पहुंचने तक आमजन की जिंदगी खतरे में रहती है। उन्होंने वन में वन्य जीवों की सुरक्षा व जिला मुख्यालय पर ट्रेंक्युलाइजर टीम की मांग भी की।
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इनका कहना है
पैंथर के पगमार्क व तस्वीरें सामने आई है। अंधेरा होने की वजह से जयपुर से आई टीम पैंथर की तलाश नहीं कर पाई। पैंथर का शहर में आने का कारण भोजन की तलाश में कुत्तों के पीछे आना हो सकता है।-रामावतार दूधवाल, डीएफओ, सीकर।