वहीं शिखा की चाची मंजू गुप्ता ने बताया कि कई दिनों से पंकज उनकी बेटी को परेशान कर रहा था। उसे दहेज के लिए प्रताड़ित किया जा रहा था। उसका पति पंकज कागज पर साइन मांग रहा था कि अगर उसे कुछ हो जाए तो उसका और उसकी मां का नाम नहीं आएगा। तीन दिन से उसे जबरदस्ती नेहरू पार्क में बुलाया जा रहा था।
पहले दिन तो पंकज नेहरू पार्क में ही मिलकर चला गया। इसके बाद अगले दिन उसे गाड़ी में जीर की चौकी तक ले गया और रात को 9 बजे घर छोड़ दिया। इसके बाद तीसरे दिन उसे जीर की चौकी ले गया और उसे मार दिया। साजिश में शिखा का पति पंकज व उसके परिजन शामिल है। साढ़े तीन महीने से बेटी हमारे यहां पर रह रही थी। हमने कभी उससे नहीं कहा कि वह उसे लेकर जाए।
शिखा की बुआ ने बताया कि रविवार की शाम को शिखा ने मेरी बेटी सोनल को शाम सवा 6 बजे फोन किया था और कहा तेरे जीजू मिलने के लिए बुला रहे हैं। इस दौरान शिखा ने कॉल पर कहा कि पंकज उससे एग्रीमेंट पर साइन चाहता है कि वह आधी सैलरी उसकी मां को देगी। साथ ही वह उसे अलवर लेकर जाएगा। इसके बाद वह अपने माता-पिता से कनेक्शन नहीं रखेगी।
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