सीकर. Real Life Inspirational Story: बचपन में पापा को बड़े भाई को क्रिकेट खिलाते हुए देखा। उस समय क्रिकेट मेरे लिए सिर्फ पार्ट टाइम मनोरंजन से ज्यादा कुछ नहीं था। लेकिन बड़े भाई के क्रिकेट की पिच पर लगातार शेखावाटी का मान बढ़ाने पर मैंने भी क्रिकेट में कॅरियर बनाने की ठान ली। इसके बाद कई प्रतियोगिताओं में शामिल होने का मौका मिला।
शुरूआत में काफी चुनौतियां भी आई लेकिन नियमित अभ्यास के दम पर राजस्थान टीम में जगह बनाने का सपना पूरा हो गया। यह कहना है राजस्थान अंडर 25 क्रिकेट टीम के कप्तान अंशुल गढ़वाल का। बेहतरीन प्रदर्शन की वजह से रेलवे ने अंशुल को खेल कोटे में सीधे नौकरी दी है। इससे पहले इनके बड़े भाई आदित्य गढ़वाल को इंडियन बैंक ने खेल कोटे में नौकरी मिल चुकी है। पत्रिका से बातचीत में आदित्य व अंशुल ने बताया कि खेल कोटे में ही नौकरी मिलने से अब ताउम्र जुड़ाव बना रहेगा।
खास बात यह है कि राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन की ओर से आयोजित आरपीएल ऑक्शन में दोनों भाईयों को खरीददार मिले। आदित्य को उदयपुर लेकसिटी वॉरियर्स ने 7.75 लाख रुपए में खरीदा है। आदित्य के पिता नरेन्द्र गढ़वाल अजमेर डिस्कॉम में जोनल चीफ इंजीनियर के पद पर कार्यरत है। वहीं मां सविता देवी राजकीय कन्या महाविद्यालय में प्राध्यापक के पद पर कार्यरत है।
संघर्ष: मिजोरम के खिलाफ बनाए 214 रन
पिछले साल आरसीए ने अंशुल को अंडर 25 टेस्ट टीम की कप्तानी दी। इस प्रतियोगिता में मिजोरम के खिलाफ अंशुल ने 214 रनों की शानदार पारी खेली थी। इसके अलावा अंडर 16, अंडर 18 व 23 सहित अन्य प्रतियोगिताओं में भी वह शानदार पारी खेलकर राजस्थान का मान बढ़ा चुके है। वहीं इनके भाई आदित्य गढ़वाल की कई पारियों को भारतीय टीम के कई खिलाड़ी सराह चुके है। इसके बाद ही आदित्य को छोटा सहवाग नाम भी मिला। वह आईपीएल टीम में भी शामिल रह चुके है।
संदेश: शेखावाटी के युवाओं संभावना खूब, राहें दिखाने की आवश्यकता
अंशुल ने बताया कि शेखावाटी के युवाओं में खेलों के प्रति काफी जुनून है। खेलों में कॅरियर की काफी संभावनाएं है। खेलों के जरिए भी आप समाज को काफी कुछ दे सकते हैं। युवाओं को खेलों को कॅरियर की देखना होगा। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय परिजनों के साथ आरसीए, डीसीए पदाधिकारियों के साथ कोच को दिया है। अंशुल की सफलता पर एचजी एकेडमी में आतिशबाजी कर जश्न मनाया गया।
जुनूनू: एक भी एकेडमी नहीं तो घर को बनाया मैदान
क्रिकेट की पिच पर लगातार बेहतर प्रदर्शन करने से परिजनों को हौसला मिला लेकिन संसाधानों का टोटा नई चुनौती भी देता रहा। पहले तो पिता नरेन्द्र गढ़वाल दोनों बेटों को घर पर ही अभ्यास कराते। जब मैचों में टर्फ विकेट पर मुकाबला होने लगा तो यहां एकेडमी तलाश की। उस दौर में सीकर में एक भी क्रिकेट एकेडमी नहीं थी। इस पर उन्होंने घर के पास के भूखण्ड में एकेडमी बनवा दी। इसका जिले के सैकड़ों खिलाड़ियों को भी फायदा मिला।
सपना: भारतीय टीम में चमके शेखावाटी के सितारे
शेखावाटी की धरती से कई खेलों में खिलाड़ी भारतीय टीम तक पहुंचे। अंशुल का कहना है कि उनका सपना भारतीय टीम में शामिल होना है। उन्होंने बताया कि युवा खिलाड़ियों को तराशने के लिए वह लगातार रेलवे की तरफ से खेलेंगे।