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पशुचारे की चिंता, बढ़े भाव
खरीफ सीजन में बारिश आधारित फसलों की बुवाई की जाती है। खुद के अनाज सहित पशुओं के लिए प्रमुख फसल बाजरे की बुवाई बारानी खेतों में होती है। बाजरे की बुवाई समय पर हो जाए तो वर्ष भर पशुओं को चारे की किल्लत से रूबरू नहीं होना पड़ता है। वहीं खुद के खाने लायक अनाज भी हो जाता है। प्रगतिशील किसान शिशुपाल सिंह के अनुसार इस बार बारिश नहीं होने से पशु चारा कडबी के भाव बढ़ रहे हैं। चारागाहों में घास खत्म होती जा रही है। समय पर बारिश नहीं हुई तो मनुष्यों के लिए अनाज के दूसरे विकल्प मिल जाएंगे लेकिन पशुओं का क्या होगा।