बैंक मैनेजर तो कभी कंपनी का सीए बन हड़पे रुपए विक्रम को कंपनी का सीए बताया गया। अरूण मिश्रा ने दूसरे दिन कॉल कर कहा कि अभिजीत सर आपका काम देखेंगे। अभिजीत ने फोन कर सभी दस्तावेज मंगवा लिए। उसने लीजहोल्ड टैक्स जमा करवाने के लिए 25 हजार मांगे। रुपए जमा कराने के बाद उसने कहा कि आपका चैक बन गया है। 66500 रुपए टैक्स के जमा कराने होंगे। उसने रुपए जमा करा दिए। तब अगले दिन एसबीआई बैंक के नाम से फोन आया कि केसाराम नाम से आपका चैक आया है। उसने 80 हजार रुपए ट्रांसफर किए जाने के मांगे। उसने कहा कि विक्रम के खाते में ही जमा करवा देना। इसके बाद विक्रम ने फोन कर कहा कि आपका पूरा काम हो गया है। अब इंश्योरेंस कराना है। तुम्हे 140000 रुपए जमा कराने होंगे। उसने रुपए जमा करा दिए। अभिजीत ने भी अलग से कमीशन की मांग की।
पुलिस फर्जी खाते के आधार पर पहुंची उत्तराखंड
एएसआई विद्याधर सिंह ने जांच शुरू की। पहले तो वह भी कुछ समझ नहीं पाए। 6 महीने तक उन्होंने जांच की। इसके बाद मोबाइल नंबरों की डिटेल निकाली। साइबर एक्सपर्ट कांस्टेबल अंकुश कुमार की मदद ली। ट्रांसफर हुए खातों की डिटेल निकाली गई। इसके बाद पुलिस को उतराखंड में ठगों के जाल का पता लगा। पुलिस की टीम ट्रेन व बसों से उतराखंड पहुंची। स्थानीय पुलिस की भी मदद ली गई। पुलिस ने सात दिनों तक देहरादून, ऋषिकेश में सघन अभियान चलाया। लोकेशन के हिसाब से जगह की जांच की गई।
एएसआई विद्याधर सिंह ने जांच शुरू की। पहले तो वह भी कुछ समझ नहीं पाए। 6 महीने तक उन्होंने जांच की। इसके बाद मोबाइल नंबरों की डिटेल निकाली। साइबर एक्सपर्ट कांस्टेबल अंकुश कुमार की मदद ली। ट्रांसफर हुए खातों की डिटेल निकाली गई। इसके बाद पुलिस को उतराखंड में ठगों के जाल का पता लगा। पुलिस की टीम ट्रेन व बसों से उतराखंड पहुंची। स्थानीय पुलिस की भी मदद ली गई। पुलिस ने सात दिनों तक देहरादून, ऋषिकेश में सघन अभियान चलाया। लोकेशन के हिसाब से जगह की जांच की गई।
नेपाली युवक के फर्जी पहचान पत्र से उतराखंड में खुलवाएं खाते पकंज गिरोह को संचालित करता है। विक्रम नेपाल का रहने वाला है। वह पिछले दो साल से गिरोह के संपर्क में है। विक्रम के नाम से ही बैंक में फर्जी पहचान पत्र बनवाकर खाते खुलवाए गए। इसके बाद विक्रम के ही खाते में ठगी के रुपए जमा करवाए जाते थे। विक्रम के बैंक खातों के एटीएम पकंज ने ले रखे थे। विक्रम को कॉल करने के 15 हजार रुपए महीने दिए जाते है। सन्नी, विनोद व शरद नेगी भी कॉल कर लोगों को ठगी के झांसे में लेते है। विक्रम के ही खाते में रुपए जमा करवाए जाते है।
सात दिनों तक बस व ट्रेन से कई जगहों पर छिपकर की जांच
ठगों की तलाश में सीकर पुलिस की टीम सात दिनों तक बस व ट्रेन से छिपकर जांच करती रही। स्थानीय पुलिस का भी काफी सहयोग रहा। एएसपी देवेंद्र कुमार शर्मा के नेतृत्व में आईपीएस प्रोबेशन वंदिता राणा के सुपरविजन में आरपीएस वीरेंद्र कुमार शर्मा ने आरोपियों को पकडऩे के लिए पूरी रणनीति बनाई। इसके बाद एएसआई विद्याधर सिंह, हैडकांस्टेबल राधेश्याम मीणा, कांस्टेबल महावीर सिंह, कर्मवीर को उतराखंड में भेजा गया। वहीं साइबर सेल से कांस्टेबल अंकुश कुमार का सराहनीय कार्य रहा।
ठगों की तलाश में सीकर पुलिस की टीम सात दिनों तक बस व ट्रेन से छिपकर जांच करती रही। स्थानीय पुलिस का भी काफी सहयोग रहा। एएसपी देवेंद्र कुमार शर्मा के नेतृत्व में आईपीएस प्रोबेशन वंदिता राणा के सुपरविजन में आरपीएस वीरेंद्र कुमार शर्मा ने आरोपियों को पकडऩे के लिए पूरी रणनीति बनाई। इसके बाद एएसआई विद्याधर सिंह, हैडकांस्टेबल राधेश्याम मीणा, कांस्टेबल महावीर सिंह, कर्मवीर को उतराखंड में भेजा गया। वहीं साइबर सेल से कांस्टेबल अंकुश कुमार का सराहनीय कार्य रहा।