अब तक वे सूरजगढ़ व पिलानी दोनों क्षेत्रों को जोडकऱ लगातार पंद्रह वर्ष से आइएएस अधिकारियों को हरा रहे हैं। वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में झुंझूनूं जिले के पिलानी कस्बे को एससी के लिए सुरक्षित सीट बना दिया गया था।
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सुरक्षित सीट बनने के बाद पहला चुनाव सुंदरलाल ने भाजपा के टिकट पर लड़ा। उनके सामने थे, रिटायर्ड आइएएस व राजस्थान लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष हनुमान प्रसाद। हनुमान प्रसाद को कांग्रेस ने टिकट दिया। कुल 15 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा। चुनाव में जीत सुंदरलाल को मिली।
उनके 43.6 फीसदी (43506) मत मिले, हनुमान प्रसाद को 39.85 फीसदी मत मिले। इसके बाद वर्ष 2013 के चुनाव में भाजपा ने फिर सुंदरलाल को मैदान में उतारा। इस बार कांग्रेस ने लगातार हार रहे हनुमान प्रसाद का टिकट काटकर मदन लाल को अपना प्रत्याशी बनाया।
चुनाव से कुछ समय पहले ही भारतीय प्रशासनिक सेवा से सेवानिवृत हुए जेपी चंदेलिया ने निर्दलीय चुनाव लड़ा। इस बार भी जनता ने जीत का सेहरा साक्षर सुंदरलाल के बांधा। सुंदरलाल को 50.52 फीसदी (72914) मत मिले। दूसरे स्थान पर रिटायर्ड आइएएस जेपी चंदेलिया रहे, उनको कुल 40.82 फीसदी (58918) मत मिले। जबकि कांग्रेस के प्रत्याशी मदन लाल को मात्र 3.25 फीसदी (4691) मत ही मिले।
लोगों को भा रहा Sundar Kaka का देसी अंदाज
सुंदरलाल की खास बात यह भी है कि वे देसी अंदाज में रहते हैं। उसी लहजे में जनता से बातचीत करते हैं। सभाओं को सम्बोधित करते हैं। यही वजह है कि जनता के बीच वे विधायक के साथ-साथ ‘सुंदर काका’ के रूप में भी फेमस हैं।
पिलानी से पहले सूरजगढ़ थी सुरक्षित सीट
पिलानी के सुरक्षित सीट बनने से पहले झुंझुनूं जिले की ही सूरजगढ़ विधानसभा सीट एससी के लिए सुरक्षित थी। वर्ष 2013 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने सुरक्षित सीट सूरजगढ़ से सुंदरलाल को तथा कांग्रेस ने पूर्व आइएएस हनुमान प्रसाद को मैदान में उतारा। इस चुनाव में सुंदरलाल को 36.30 फीसदी (43555) मत मिले।
दूसरे स्थान पर निर्दलीय बाबूलाल खांडा रहे, जबकि हनुमानप्रसाद तीसरे स्थान पर रहे। इस प्रकार लगातार पंद्रह वर्ष से साक्षर सुंदरलाल आइएएस को हरा रहे हैं। हालांकि वे कई बार चुनाव हार भी चुके और पार्टी भी बदल चुके।