सीकर. कच्चे छप्पर से उठती आग की लपटें देख आसपास के लोग दौड़े। पानी डालने लगे तो कराहने की आवाज सुनी। लेकिन कोई भी आग की लपटों के बीच घुसने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। और वह आंखों के सामने जिंदा जल गया। यह दर्दनाक हादसा रविवार रात करीब दस बजे शहर के मोचीवाड़ा क्षेत्र के खारिया कुआ के पास हुआ।
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हादसे का शिकार 55 वर्षीय व्यक्ति एक पैर से दिव्यांग था। ऐसे में वह चलकर भी बाहर नहीं आ पाया। हादसे के बाद वहां सैकड़ों लोगों की भीड़ एकत्र हो गई। पुलिस और दमकल की गाडिय़ां भी पहुंची। हादसे के शिकार की अभी तक पहचान नहीं हो पाई है। आग से जले शव को पुलिस ने कल्याण अस्पताल के मुर्दाघर में रखवाया है।
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मोहल्ले के लोग नहीं जानते वह कहां का रहने वाला है। उसके नाम पते की किसी को जानकारी नहीं है। क्षेत्र के निवासी तस्लीम चौधरी, साजिद व अन्य का कहना है कि वह छह माह से अधिक समय से यहां खाली पड़े प्लाट में झुग्गी झौपड़ी बनाकर रह रहा था। उसके पत्नी, दो बेटे और दो पोते भी है।
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वह भी इसके साथ ही यहां झौपड़ी में ही रहते थे। पिछले दिनों ने उसकी पुत्रवधु के प्रसव हुआ तो मोहल्ले के लोगों ने पास ही खाली पड़ा मकान रहने को दे दिया। बेटों में एक का नाम मिस्टर और दूसरे का शोयब बताया जाता है। दोनों बेटे पलदारी करते हैं। लेकिन पिछले तीन दिन से इसके परिवार के लोगों को किसी ने नहीं देखा। अब पुलिस उनका पता करने का प्रयास कर रही है।
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खाली प्लाट में बना यह छप्पर लकड़ी, कपड़े और पोलिथीन के तिरपाल से बनाया हुआ था। छप्पर के लोहे का गेट भी लगाया हुआ था। दिव्यांग की ट्राइसाइकिल छप्पर के पास ही खड़ी थी।
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मोहल्ले के लोगों का मानना है कि सर्दी से बचाव के लिए उसने छप्पर में अंगिठी जलाई हो। अंगिठी से छप्पर ने आग पकड़ ली। पोलिथीन का तिरपाल होने के कारण आग ने चंद क्षणों में ही भयावह रूप धारण कर लिया।