विशेषज्ञों ने चेताया
वातावरण में धुंध की एक परत से छा रही है। उत्तर भारत से बहती सर्द हवाओं में मौजूद पीएम-2.5 के कण समेत अन्य नुकसानदायक गैसें वातावरण में लंबे समय तक तैर रही हैं। विशेषज्ञों की माने तो समय रहते नहीं चेते और सावधानी नहीं बरती गई तो आने वाले दिनों में स्वच्छ सांस लेना पाना भी दुश्वार हो जाएगा। चिकित्सकों की मानें तो माह की शुरुआत से सीकर में एक्यूआइ 150 से 300 के आस-पास बना हुआ है, जो कि खतरनाक है।यह पिछले वर्षों की तुलना में असामान्य भी है। सीकर की आबोहवा पिछले दस साल में दिसम्बर माह में इतनी खराब पहले कभी नहीं हुई।
हालांकि सर्दी बढ़ने के साथ वायु प्रदूषण बढ़ता जरूर है, लेकिन यह बीते वर्षों में 100 से 150 एक्यूआइ के आसपास ही दर्ज किया गया। पर्यावरण नियंत्रण मंडल के अनुसार सीकर में पिछले बीस में दस दिन सीकर ओरेंज जोन में नौ दिन यलो जोन में रहा है। कमोबेश यही हाल नवम्बर माह में भी रहा है। नवम्बर माह में दो बार सीकर रेडजोन में आ चुका है।
यह है कारण
एक्सपर्ट की मानें तो सीकर में इन दिनों उत्तर भारत की ओर से नम हवाएं चल रही है। सर्द हवा भारी होने के कारण लम्बे समय तक वातावरण में तैरती रहती है। जिससे हवा में फैला प्रदूषण को छंटने में अधिक समय लगता है। सड़कों पर चल रहे वाहनों व फैक्ट्री की संख्या बढ़ती जा रही है। इनसे निकलने वाला प्रदूषण भी हवा में ही घूमता रहता है। जो कि समय पर छंट नहीं पा रहा है, जिससे एक्यूआइ का स्तर बढ़ गया है। इसके अलावा खुले में कूड़ा जलाने और निर्माण कार्यों के कारण जगह-जगह धूल-मिट्टी के गुबार उठ रहे हैं।
इनसे हवा में कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनो-ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसे जहरीले गैस निकलते हैं। कल्याण अस्पताल प्रबंधन के अनुसार वायु प्रदूषण के कारण एक साल में सांस से संबंधित बीमारियों के मरीज बढ़े हैं।
यह है तय मानक
वायु गुणवत्ता सूचकांक एक्यूआई के लिए स्तर निर्धारित किए गए हैं। एक्यूआई 0 से 50 है तो वायु की गुणवत्ता अच्छी है और प्रदूषण से कोई खतरा नहीं है। एक्यूआई 51 से 100 के बीच हो तो संतोषप्रद माना जाता है। इस दौरान वायु प्रदूषण के प्रति संवदेनशील लोगों के जोखिम हो सकता है। एक्यूआई 101 से 150 तक है तो केवल संवेदनशील लोगों के स्वास्थ्य को खतरा होने लगता है। 151 से 200 एआईक्यू के कारण संवेदनशील समूहों के सदस्यों पर असर नजर आने लगता है। 201 से 300 सभी वर्ग पर खतरा मंडराने लगता है। एक्यूआई 301 से 400 तक होने पर सभी के प्रभावित होने की अधिक आशंका रहती है। 401 से 500 तक बहुत की ज्यादा खराब हो जाती है। इस दौरान शरीर पर बुरे प्रभाव नजर आने लगते हैं।
समस्या: प्रदूषण के कारणों को नजरअंदाज करने से बढ़ी परेशानी
जिले में चल रहे निर्माण कार्य, वाहनों की संख्या में निरंतर वृद्धि, खुले में कचरा का जला दिया जाना आदि कई ऐसे कारक हैं जो यहां की वायु की गुणवत्ता को लगातार कम कर रहे हैं और उसे दूषित कर रहे हैं। वहीं इससे आंखों में जलन, अधिकतर समय बाहर रहने पर सर्दी जुकाम जैसी समस्या, सांस लेने में तकलीफ आदि कई बीमारियां अपेक्षाकृत बढ़ रही हैं। इसकी अनदेखी व्यक्तिगत स्वास्थ्य व पर्यावरण दोनों के लिए घातक साबित हो रही है।
इनका कहना है
पिछले सालों की तुलना में इस बार दिसम्बर माह सांस और एलर्जी के मरीज बढ़े हैं। जिन मरीजों में पूर्व में सीओपीडी और अस्थमा के लक्षण नहीं थे वे भी प्रदूषण के कारण उभर रहे हैं। इसलिए सावधानी रखनी जरूरी है। ऐसे में पुराने मरीजों को बाहर निकलते समय मुंह पर मास्क लगाने की सलाह दी जाती है।डॉ. प्रहलाद दायमा, सीनियर पल्मोनोलॉजिस्ट, सीकर