अस्पतालों से लिए गए आंकडों के अनुसार इस प्रकार की समस्या ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले प्रसूताओं के साथ अधिक हो रही है। विशेषज्ञों की माने तो ग्रामीण इलाकों में अत्यधिक उर्वरक व रसायनों के कारण ऐसा हो रहा है। बच्चों को यह गंभीर समस्या गर्भ के दौरान उनकी मां से ही मिल रही है। हालांकि डॉक्टरों के अनुसार गर्भावस्था के दौरान महिलाएं अपने स्वास्थ्य व खान-पान को लेकर काफी लापरवाह हो जाती है। इसका खामियाजा उनके प्रसव को भुगतना पड़ रहा है।
समय से पहले शिशु का जन्म इसलिए दिल में छेद
शिशु के दिल में छेद होने की समस्या का एक कारण उसका समय से पहले जन्म भी होता है। महिलाओं मे ंकमजोरी होने से उनका प्रसव समय से पहले ही हो जाता है। एमटीसी वार्ड से जुटाई जानकारी में बताया कि अधिकांश मामलों में देखा गया है कि समय से पूर्व पैदा हुए बच्चों में दिल की बीमारियां होती है। जिले में छह माह में तंत्रिका तंत्र से संबंधित 28 व कटे होठ व तालू के 41 बच्चों का जन्म हुआ है।
शिशु के दिल में छेद होने की समस्या का एक कारण उसका समय से पहले जन्म भी होता है। महिलाओं मे ंकमजोरी होने से उनका प्रसव समय से पहले ही हो जाता है। एमटीसी वार्ड से जुटाई जानकारी में बताया कि अधिकांश मामलों में देखा गया है कि समय से पूर्व पैदा हुए बच्चों में दिल की बीमारियां होती है। जिले में छह माह में तंत्रिका तंत्र से संबंधित 28 व कटे होठ व तालू के 41 बच्चों का जन्म हुआ है।
भूल जाती है दवाइयां
डॉक्टरों के अनुसार गर्भवती महिलाओं के शरीर में आयरन की मात्रा बढ़ाने के लिए अस्पताल व आंगनबाड़ी केन्द्रों से फॉलिक एसिड आयरन की गोलियां निशुल्क दी जाती है। हकीकत यह है कि अधिकांश महिलाएं कुछ दिन ये गोलियां लेती है। जिससे महिला व गर्भ में पल रहे शिशु में एनीमिया की समस्या हो जाती है।
डॉक्टरों के अनुसार गर्भवती महिलाओं के शरीर में आयरन की मात्रा बढ़ाने के लिए अस्पताल व आंगनबाड़ी केन्द्रों से फॉलिक एसिड आयरन की गोलियां निशुल्क दी जाती है। हकीकत यह है कि अधिकांश महिलाएं कुछ दिन ये गोलियां लेती है। जिससे महिला व गर्भ में पल रहे शिशु में एनीमिया की समस्या हो जाती है।
सावधानी आवश्यक है
बच्चों में अंग विकृति का आंकड़ा हर बीमारी के साथ अलग-अलग है। शिशुओं में ज्यादातर हृदय में छेद, होठ व तालू का कटा होना, पैर का मुड़ा होना व एनीमिया की समस्या। अभी तक इन बीमारियों को पूर्ण कारण नहीं बताया जा सका है। गर्भावस्था में महिलाओं का संतुलित आहार नहीं करना व बिना सलाह के दवाई लेने से होती है।
बच्चों में अंग विकृति का आंकड़ा हर बीमारी के साथ अलग-अलग है। शिशुओं में ज्यादातर हृदय में छेद, होठ व तालू का कटा होना, पैर का मुड़ा होना व एनीमिया की समस्या। अभी तक इन बीमारियों को पूर्ण कारण नहीं बताया जा सका है। गर्भावस्था में महिलाओं का संतुलित आहार नहीं करना व बिना सलाह के दवाई लेने से होती है।
इनका कहना है
कुछ बच्चों में यह बीमारी आनुवांशिक भी होती है। प्रसव का समय से पूर्व होना भी एक महत्वपूर्ण कारण है। महिलाओं को अपने गर्भावस्था में सबसे ज्यादा सावधानी रखनी चाहिए।- मदन सिंह फगेडिया, शिशु रोग विशेषज्ञ इस अंग विकृति बच्चों के लिए जिले में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत ऑपरेशन करवाया जा रहा है। चिकित्सा विभाग ने जिले में 11 होठ व तालू, 17 बच्चों व 30 दिल के ऑपरेशन करवाए गए है। वहीं कई बच्चों को रैफर कर रखा है। निर्मल सिंह आरसीएचओ
एसके अस्पताल, नीमकाथाना व आंगनबाडी केंद्रों से लिए गए
आंकड़े 2015
होठ व तालू कटे शिशु 625
हृदय रोग से ग्रस्त 279
खून की कमी 3019
2016
होठ व तालू कटे शिशु 704
हृदय रोग से ग्रस्त 342
खून की कमी 2830
2017
होठ व तालू कटे शिशु 48
ह्दय रोग से ग्रसित शिशु 153
खून की कमी 862
चर्म रोग 1037
टेडेमेढे हाथ-पैर 1121
आंकड़े 2015
होठ व तालू कटे शिशु 625
हृदय रोग से ग्रस्त 279
खून की कमी 3019
2016
होठ व तालू कटे शिशु 704
हृदय रोग से ग्रस्त 342
खून की कमी 2830
2017
होठ व तालू कटे शिशु 48
ह्दय रोग से ग्रसित शिशु 153
खून की कमी 862
चर्म रोग 1037
टेडेमेढे हाथ-पैर 1121