सीकर जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर धोद तहसील के गांव मूंडवाड़ा के रहने वाले हैं अमराराम। इनका जन्म डीडवाना-नागौर मार्ग पर स्थित मूंडवाड़ा के किसान दलाराम व रामदेवी के घर 5 अगस्त 1955 को हुआ। अमराराम चार भाइयों में तीसरे नम्बर के हैं। भाई ईश्वर सिंह व हीरालाल बड़े व भाई केशर सिंह छोटा है। इनके तीन बहन रुकमा देवी, छोटी देवी व जीवणी देवी हैं।
प्राथमिक शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल में हुई। आठवीं कक्षा स्वतंत्रता सेनानी जमनालाल बजाज के गांव काशी का बास से उत्तीण की। फिर नौवीं से लेकर बीएससी व एमकॉम तक की पढ़़ाइ सीकर के एसके से की। 1975 में गोरखपुर विश्वविद्यालय से बीएड की डिग्री हासिल की। 1980 मेें पंचायती राज विभाग में सरकारी शिक्षक लगे। पहले नियुक्ति धोद के प्राथमिक स्कूल में मिली। फिर छह माह बाद नागवा के स्कूल में लगाया गया। सालभर बाद ही अमराराम ने शिक्षक की नौकरी छोड़ गांव मंूडवाड़ा से सरपंच का चुनाव लड़़ा व जीता।
वर्ष 1971 में अमराराम 11वीं कक्षा में थे तब उनकी शादी हो गई थी। पत्नी सोहनी देवी गृहणि हैं। इनके दो बेटे व एक बेटी है। बड़ा बेटा महावीर वर्तमान में गांव मूंडवाड़ा से सरपंच हैं। छोटा बेटे ने राजनीतिक विज्ञान में पीएचडी कर रखी है। बेटी सुनीता एमए, बीएड तक शिक्षित है। पहले इनका परिवार मंूडवाड़ा में रहता था। वर्तमान में सीकर के शांतिनगर में रह रहा है।
अमराराम का राजनीतिक सफर कॉलेज से ही शुरू हो गया था। एसके कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ये सीपीआई (एम) की छात्र इकाई एसएफआई से जुड़े। 1979 में एसएफआई की टिकट पर एसके कॉलेज के छात्रसंघ अध्यक्ष चुने गए। इसके बाद 1983 से 1993 तक अपने गांव मंूडवाड़ा के सरपंच रहे। वर्ष 1993, 1998 व 2003 में विधानसभा क्षेत्र धोद व 2008 में दांतारामगढ़ से विधायक चुने गए। इस बीच वर्ष 1985, 1990 व 2013 के विधानसभा चुनाव में हार का भी सामना करना पड़ा।
दिनचर्या
अमराराम सुबह करीब पांच बजे उठते हैं। सीकर में रहते हैं कृषि उपज मंडी समिति परिसर व जयपुर में रहते हैं तो सिविल लाइन के पार्क में एक घंटे मॉर्निंक वॉक करते हैं। इसके बाद घर आकर अखबार पढ़ते हैं। कोई कार्यकर्ता या समर्थक आए हुए होते हैं उनसे मिलते हैं। फिर खाना खाकर साढ़े 9 बजे क्षेत्र में निकल जाते हैं।