इस मेले में भीड़ इतनी अपार की इस मेले ने गत जन्मोत्सव मेलों के रिकॉर्ड को तोड़ दिए। भीड़ के चलते भक्तों को दर्शन करने में 5 घंटे का समय लगा। इनमें से कुछ ऐसे श्रद्धालु थे जो भीड़ को देखकर बिना दर्शन किए ही लौट गए। वहीं सफाई व्यवस्था की बात करें तो पालिका इस मामले में बिल्कुल फेल साबित हो रही है। मासिक मेलों व फाल्गुन मेले की बात करें तो बाहरी संस्थाओं के सेवादार इस बीड़े को उठाकर खाटू के दर्शन मार्ग, नाली व टॉयलेट तक की सफाई करते हैं। द्वादशी की बात करें तो मुय बाजार आदि मार्ग अतिक्रमण और ई-रिक्शा की जद में थे।
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जगह-जगह गंदगी के ढेर लगे हुए थे। हालांकि पालिका प्रशासन ने एकादशी के पहले रास्तों से अतिक्रमण हटाए थे। मगर हर बार की तरह नियमित देखरेख के अभाव में गंदगी और अतिक्रमण को दूर कर श्रद्धालुओं व आमजन को राहत देने में सफल नहीं हो पाई है। रास्तों की बात करें तो फाल्गुन मेले का पदयात्रा मार्ग भी कई जगह से उखड़ा हुआ है। प्रशासन कई मेले में इसपर मिट्टी की लीपापोती कर अपने काम से इति श्री कर लेता है। वृंदावन धर्मशाला की गली में कुछ दूरी तक सड़क और नाली नहीं बनी हुई है। इसमें अधिकतर गंदे पानी का भराव रहता है। रींगस तक बनने वाला पदयात्रा मार्ग भी केवल पांच किमी तक बनकर रह गया। वह भी अधिकतर अतिक्रमण की जद में रहता है। ऐसे में यहां स्थाई समाधान की जरूरत है।