जिस दिन आने की तारीख बताई, उसी दिन दुनिया से विदा
रहनावा निवासी दयाचंद जाखड़ ने एक जून को पत्नी को अंतिम पत्र लिखा था। जिसमें माता-पिता सहित पूरे परिवार की कुशलक्षेम पूछते हुए शहीद ने बेटे को स्कूल भेजने व 15 जून को छुट्टी पर गांव आने की बात लिखी थी। उसी 15 जून को उनकी शहादत की सूचना परिजनों को मिली। शहीद सीताराम ने लिखा, मैं अपने स्थान पर कुशल हूं…
पलसाना निवासी शहीद सीताराम ने शहादत से सवा महीने पहले लिखे पत्र में लिखा कि ‘मैं सभी परिजनों की कुशलता की प्रार्थना करता हूं। किसी प्रकार की कोई परेशानी हो तो पत्र में लिखना। किसी प्रकार का संकोच मत करना। रूपयों की जरूरत हो तो ताऊजी से ले लेना। मेरी तरफ से किसी भी प्रकार की चिंता मत करना। मैं अपने स्थान पर कुशल हूं। गर्मी का विशेष ध्यान रखना।’
शहीद बनवारी लाल ने लिखा, इसके बाद कोई कागज नहीं लिखूंगा, अंतिम है..
सेवद बड़ी निवासी शहीद बनवारी लाल बगड़िया का पत्नी संतोष को लिखा पत्र मानो पूर्वाभास का था। सबके कुशल समाचार पूछते हुए उन्होंने अंत में पत्नी के गांव जाने का जिक्र करते हुए लिखा कि ‘इसके बाद मैं कोई कागज नहीं लिखूंगा। ये लास्ट कागज है।’