किवदंती है कि दिल्ली की सल्लतनत पर मुगल बादशाहों का राज था। तब औरंगजेब व उसकी सेना हिन्दू मंदिरों को तोड़ते हुए राजस्थान के सीकर जिले में पहुंची। औरंगजेब जीणमाता के भाई हर्षनाथ भैंरू के मंदिर को खंडित करते हुए जीणमाता के मंदिर की ओर बढ़ा। तब जीणमाता ने चमत्कार दिखाया और औरंगजेब की सेना पर बड़ी मधुमक्खियां (भंवरे) छोड़ दिए, जिनके हमलों से औंरगजेब व उसकी सेना भाग खड़ी हुई।
खुद बादशाह की हालत गंभीर हो गई थी। तब औंरगजेब ने जीणमाता ने क्षमा याचना की और मंदिर की अखण्ड ज्योत के लिए दिल्ली से प्रतिमाह सवामण तेल भिजवाना शुरू किया। फिर दिल्ली की बजाय सवामण तेल जयपुर राज घराने से आने लगा। महाराजा सवाई मानसिंह के समय सवामण तेल भिजवाए जाने की जगह 20 रुपए 3 आने नकद बांध दिए गए, जो निरंतर प्राप्त हो रहे हैं।
जीणमाता मंदिर के विशेष उत्सव -शरद पूर्णिमा महोत्सव
-चैत्र नवरात्र महोत्सव व विशेष लक्खी मेला
-सिंजारा व तीज पर झूलोत्सव
-जीण देवी भागव्त कथा महोत्सव
– shardiya navratri 2017 महोत्सव व मेला शारदीय नवरात्रि 2017 में जीणमाता जाओ तो ये भी देखो
-जीणमाता का निज मंदिर दक्षिण मुखी और मंदिर का प्रवेश द्वार पूर्व में है। पूरा जीणधाम तीन पहाड़ों के संगम में 20-25 फीट ऊंचे काजल शिखर मंदिर की चोटी पर स्थित है।
-जीण मंदिर से करीब छह मील की दूरी पर उसके भाई हर्षनाथ भैरूं का मंदिर है।
-हर्षनाथ भैंरू के पहाड़ के पूर्व दक्षिण की तलहटी में स्यालू सागर झील देखने लायक है।
-जीणमाता मंदिर से पश्चिम की तरफ पहाड़ के नीचे जीणवास नामक बस्ती है। यहां मंदिर पुजारियों व बुनकरों बसावट है।
-जीण मंदिर के पास ही पुजारियों के पूर्वज माला बाबा की धूणी भी दर्शनीय है।
-मंदिर के पास तीन झरने व एक-एक तालाब-कुआं है। यहां राव राजा का बनवाया हुआ ‘गोला’ तालाब भी है।
-चैत्र नवरात्र महोत्सव व विशेष लक्खी मेला
-सिंजारा व तीज पर झूलोत्सव
-जीण देवी भागव्त कथा महोत्सव
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-जीणमाता का निज मंदिर दक्षिण मुखी और मंदिर का प्रवेश द्वार पूर्व में है। पूरा जीणधाम तीन पहाड़ों के संगम में 20-25 फीट ऊंचे काजल शिखर मंदिर की चोटी पर स्थित है।
-जीण मंदिर से करीब छह मील की दूरी पर उसके भाई हर्षनाथ भैरूं का मंदिर है।
-हर्षनाथ भैंरू के पहाड़ के पूर्व दक्षिण की तलहटी में स्यालू सागर झील देखने लायक है।
-जीणमाता मंदिर से पश्चिम की तरफ पहाड़ के नीचे जीणवास नामक बस्ती है। यहां मंदिर पुजारियों व बुनकरों बसावट है।
-जीण मंदिर के पास ही पुजारियों के पूर्वज माला बाबा की धूणी भी दर्शनीय है।
-मंदिर के पास तीन झरने व एक-एक तालाब-कुआं है। यहां राव राजा का बनवाया हुआ ‘गोला’ तालाब भी है।
शारदीय नवरात्रि 2017 ऐसे पहुंचे जीणमाता जीणधाम सीकर से 30 किमी दक्षिण में व गांव गोरियां से लगभग 15 किमी पश्चिम व दक्षिण के मध्य स्थित है। यहां पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को सबसे पहले बस या रेल मार्ग से गोरियां आना पड़ता है।
गोरियां स्टेशन रींगस-सीकर के बीच स्थित है। गोरियां के अलावा, सीकर, रानोली, दांतारामगढ़, रींगस से बसें जीणधाम के लिए उपलब्ध हैं। जीणमाता के मेले पर जयपुर, रींगस व सीकर से रोडवेज की मेला स्पेशल बसें भी चलती हैं।
शारदीय नवरात्रि 2017 मेले में डीजे और पॉलीथिन पर रोक गुरुवार को घट स्थापना के साथ ही जीणमाता का अश्विन नवरात्र मेला शुरू हो गया। प्रथम शारदीय नवरात्रि के दिन माता की प्रतिमा का विशेष फूलों व आकर्षक पोशाक से श्रृंगार किया गया। वर्षों की परम्परा के अनुसार जीणमाता गांव के सभी मंदिरों में पुजारी ने सिन्दुरी चोला अर्पित किया।
शारदीय नवरात्रि 2017 मेले की पूर्व संध्या पर जिला प्रशासन, श्री जीणमाता मंदिर ट्रस्ट, ग्राम पंचायत रलावता द्वारा विभिन्न व्यवस्थाओं को अंतिम रूप दिया गया। मेला मजिस्ट्रेट सत्यवीर यादव के मागदर्शन में सरपंच अशोक शेखावत, ग्राम सेवक सुभाषचंद्र निठारवाल व विभिन्न विभागों के अधिकारी दिनभर बेरिकेडिंग, बाइपास मार्ग, वनवे, पेयजल, चिकित्सा आदी की व्यवस्था में जुटे रहे। शारदीय नवरात्रि 2017 मेला कन्ट्रेाल रूम भी स्थापित किया गया है। इस बार भी मेले में डीजे व प्लास्टिक की थैलियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। साथ ही शराब के सेवन पर भी पूर्णतया रोक है।
श्रद्धालु इन बातों का रखें ध्यान शारदीय नवरात्रि 2017 में शक्तिपीठ जीणधाम आने वाले श्रद्धालुओं को प्रशासनिक व्यवस्थाओं व भीड़ को ध्यान में रखते हुए सुलभ दर्शनों के लिए कुछ बातों का ध्यान आवश्यक है। मेले में गोरिया-रैवासा की तरफ से आने वाले वाहनों की पार्किंग कोछोर तिराहे पर की गई है। वहीं दांतारामगढ़ की तरफ से आने वाले वाहनों को रलावता रोड पर खड़ा किया जा सकेगा।