विक्रम संवत 1778 में सीकर के राजा राव शिव सिंह ने गोपीनाथ मंदिर की स्थापना की थी। राजा गोपीनाथ की प्रतिमा बंगाल से लेकर आए थे। राजा खुद को गोपीनाथ का सेवक मानते थे। तब से ही गोपीनाथ जी को राजा गोपीनाथ कहा जाता है। मंदिर में गोपीनाथ के साथ सत्यभामा रुक्मणी भी विराजित है। इतिहासकारों के अनुसार एक बार मंदिर के पुजारी लड्डू का भोग लगाना भूल जाता है।
Janmashtami 2019 : आज जन्मेंगे मैया यशोदा के लल्ला, 11 सौ किलो पंचामृत से होगा अभिषेक
मान्यता है कि तब भगवान खुद बाल रूप में आते है और मंदिर के नीचे एक मिठाई की दुकान पर अपने पैर का कड़ा देकर चार लड्डू खाते हैं। मंदिर के पुजारी जब पूजा के लिए जाते है तो भगवान के पैर का कड़ा गायब मिलता है। हर तरफ चर्चा रहती है कि गोपीनाथ जी का कड़ा गायब हो गया। उस वक्त दुकानदार राजा के दरबार में पहुंच जाता है और कड़ा दिखाकर बोलता है कि यहीं कड़ा है क्या? राजा पूछते है तो दुकानदार बताता है कि एक नन्हा बालक आकर कड़े के बदले चार लड्डू खाकर गया था। तब से ही भगवान को लड्डू का भोग लगाने की परंपरा रही।
आज 11 सौ किलो पंचामृत से किया जाएगा अभिषेक
शहर के आराध्य देव गोपीनाथ राजा के कृष्ण जन्माष्टमी पर 11 सौ किलो पंचामृत से अभिषेक किया जाएगा। 651 किलो पंजीरी का प्रसाद लगाया जाएगा। प्राकट्य महोत्सव पर रात 12 से सवा दो बजे के बीच 11 विशेष आरती होगी। रविवार को तडक़े साढ़े पांच बजे मंगला आरती के साथ ही नंदोत्सव शुरू हो जाएगा। नंदोत्सव में माता यशोदा के कृष्ण को गोद में लेने की विशेष झांकियों के साथ छप्पन भोग भी लगाया जाएगा। साथ ही भजन-कीर्तन के आयोजन होंगे। मंदिर के महंत कैलाश देव गोस्वामी ने बताया कि शनिवार तडक़े मंगला आरती के साथ ही कृष्ण जन्माष्टमी के आयोजन शुरू हो जाएगे। फूल बंगले की झांकी सजाई जाएगी। भगवान गोपीनाथ पांच बार पोषाक बदलेंगे। शाम साढ़े छह, आठ और साढ़े नौ बजे आरती होगी। इसके बाद 12 बजे अभिषेक होगा। रात 12 से सवा दो बजे तक 11 बार जन्म की आरती होगी। जन्माष्टमी आयोजनों को लेकर शुक्रवार को निशान पदयात्रा निकाली गई। 151 निशानों के साथ पदयात्रा रघुनाथजी के मंदिर से शुरू हुई। जो शहर के प्रमुख मार्गो से होती हुई गोपीनाथ मंदिर पहुंची।