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सीकर

केरल के कोच्चि में इमारतें ढहाने के बाद क्या अब सीकर!

शहर में फीसदी इमारते अवैध।

सीकरJan 12, 2020 / 06:38 pm

Gaurav

केरल के कोच्चि में इमारतें ढहाने के बाद क्या अब सीकर!

केरल के कोच्चि में इमारतें ढहाने के बाद क्या अब सीकर!

सीकर. केरल के कोच्चि में भले ही नियम विरुद्ध बनाई गई इमारतों को ढ़हा दिया गया हो, लेकिन सीकर में तो जिम्मेदारों ने आंख मूंद रखी है। शहर के हर कोने में नियमों को नींव में दबा कर बहुमंजिला इमारतें खड़ी कर दी गई। अवैध निर्माण का यह सिलसिला लगातार जारी है। इसे रोकने के परिषद ने कभी ठोस प्रयास नहीं किए। भवन का निर्माण पूरा होने के बाद शिकायत मिलने पर नोटिस की कार्रवाई में मामले को उलझा दिया जाता है। चंद भवनों में अवैध निर्माण बताकर सीज की कार्रवाई भी की गई, लेकिन कहीं भी बड़ा निर्माण ढहाने का अभी तक जज्बा नहीं दिखाया गया। शहरी सरकार के शहर में कदम-कदम पर अवैध निर्माण के दावे फेल नजर आ रहे हैं।

बिल्डरों ने बेचे फ्लैट, खरीदार हो रहे परेशान
अवैध भवन बनाने के बाद बिल्डरों ने फ्लैट बेच दिए। ऐसे में परिषद की टीम वहां कार्रवाई के लिए जाती भी है तो खरीदार को ही परेशानी भोगनी पड़ती है। शहर के अवैध भवनों की स्थिति देखें तो शहर का एक भी कोना ऐसा नहीं है, जहां पर नियम विरुद्ध इमारत ना खड़ी हो। शहर के स्टेशन रोड, सुभाष चौक, घंटाघर, रामलीला मैदान सहित सर्वाधिक गंभीर स्थिति पिपराली रोड और जयपुर रोड की है, जहां तंग गलियों में अवैध भवन खड़े कर दिए गए हैं।

90 फीसदी भवनों में नियम ताक पर
सीकर की बहुमंजिला भवनों की स्थिति देखे तो 90 फीसदी भवन नियम विरुद्ध बने हैं। कहीं सैट बेक नहीं छोड़ा गया तो कहीं पार्किंग की जगह को बेच दिया गया। परिषद ने चार वर्ष पहले शहर में बहुमंजिला भवनों का सर्वे करवाया तो सौ से अधिक भवन अवैध पाए गए। इनमें से अधिकतर भवनों में एक मंजिला बिना स्वीकृति के ही निर्माण कर दिया गया। यह स्थिति सामने आने के बाद भी परिषद इन भवन मालिकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पाई।

1. नोटिस का खेल: पर्दे के पीछे हकीकत अलग
अवैध निर्माण को रोकने के लिए टीम गठित कर रखी है। लेकिन यह टीम नोटिस तामिल कराने में ही अवैध निर्माण को उलझा देती है। जैसे ही अवैध निर्माण का भवन मालिक को नोटिस जारी होता है। इसके बाद पर्दे के पीछे दूसरा ही खेल शुरू हो जाता है। एक साल में परिषद ने 610 से अधिक नोटिस जारी किए। लेकिन हालत यह है कि नोटस के बाद भी अवैध निर्माण बंद नहीं हुए। ऐसे में सवाल है कि जब अवैध निर्माण का पता है तो फिर कार्रवाई क्यों नहीं की गई।
2. नक्शे में सब कुछ साफ, हकीकत में अवैध
भवन मालिक की ओर से जब निर्माण स्वीकृति ली जाती है तब नक्शे में पार्र्किंग से लेकर सभी इंतजाम दिखाए जाते है। परिषद भी आसानी से निर्माण स्वीकृति जारी कर देता है। लेकिन जैसे ही मौके पर काम शुरू होता है तो फिर अवैध निर्माण के सहारे नियमों को ताक पर रख दिया जाता है। यदि परिषद की ओर से सर्वे कराया जाए तो शहर के ज्यादातर बहुमंजिला भवनों की हकीकत अलग मिलेगी।
3. सीजर की कार्रवाई भी बनी मजाक
परिषद की सीजर की कार्रवाई भी मजाक बन चुकी है। 5 साल में 17 से अधिक भवनों में सीजर की कार्रवाई की गई। लेकिन सीजर की कार्रवाई के बाद भी कई भवनों में निर्माण कार्य जारी रहा। मामले में जब स्थानीय लोगों ने परिषद को शिकायत दी तो सब कुछ कागजों में दफन कर दिया। नौ भवनों का काम तो अब पूरा हो चुका है।

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