जनप्रतिनिधियों के साथ पहुंचे अधिकारी
स्वास्थ्य विभाग के आलाधिकारी शुक्रवार को सीकर पहुंचे। जयपुर से आई टीम ने सांवली रोड पर बन रहे मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण किया। निरीक्षण में सीकर सांसद सुमेधानंद सरस्वती, सीकर विधायक रतनलाल जलधारी, प्रमु ख शासन सचिव स्वास्थ्य आनंद कुमार, अतिरिक्त निदेशक मेडिकल शिक्षा बचनेश कुमार अग्रवाल, आरएसआरडीसी के शैलेन्द्र माथुर, प्रोजेक्ट डायरेक्टर विनोद बिहारी माथुर, अस्पताल अधीक्षक डॉ. एसके शर्मा, अतिरिक्त अधीक्षक डॉ. अशोक कुमार, डिप्टी कंट्रोलर डॉ. हरि सिंह शामिल रहे। इस दौरान मेडिकल कॉलेज की निर्माण एजेंसी को हरहाल में निर्माण कार्य पूरा करने के निर्देश दिए।
कई माह से नहीं ली सुध
सीकर में मेडिकल कॉलेज शुरू होने की घोषणा के बाद जनप्रतिनिधियों में होड़ मच गई। हाल यह हो गया है कि जिले के विधायकों के अलावा चिकित्सा मंत्री भी कई बार मेडिकल कॉलेज पहुंच चुके। इसके बाद जनप्रतिनिधियों ने मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया। इस कारण मेडिकल कॉलेज भवन का निर्माण करने के लिए तीन बार निर्माण एजेंसियां तय की गई थी लेकिन मॉनिटरिंग नहीं होने से हमारा मेडिकल कॉलेज प्रदेश के दूसरे मेडिकल कॉलेज की तुलना में पिछड़ गया।
कुपोषित वार्ड होगा ध्वस्त, बनेगा नया अस्पताल
एसके अस्पताल परिसर में पूर्व में संचालित एमसीएच विंग के पुराने ावन को ध्वस्त किया जाएगा। विंग में संचालित कुपोषित वार्ड को जनाना अस्पताल में और कैंसर वार्ड और स्टोर को पुराने ावन में शि ट करवाया जाएगा। प्रिंसीपल एंड कंट्रोलर डॉ. गोवर्धन मीणा ने बताया कि पांच मंजिला नया ावन 40 गुणा 40 मीटर में बनेगा। जिसमें मेडिकल कॉलेज की गाइड लाइन के अनुसार 400 बैड, एमसीआई नॉ र्स के अनुसार सेंट्रलाइज ऑक्सीजन, पांच ऑपरेशन थियेटर, पेंट्री, सैप्टिक लेबर रूम और प्रत्येक वार्ड में स्टोर की व्यवस्था होगी। अस्पताल भवन में विभिन्न विभागों सहित वृद्ध लोगों के लिए अलग-अलग आईसीयू बनेंगे।
इसलिए पड़ी जरूरत
मेडिकल कॉलेज से अटैच एसके अस्पताल का एमसीआई की टीम ने पिछले दो साल में चार बार निरीक्षण किया है लेकिन निरीक्षण में मिली खामियों को अस्पताल प्रबंधन और मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के बीच खीचतान के कारण पूरा नहीं किया जा सका। मेडिकल कॉलेज को शुरू करवाने में अस्पताल प्रबंधन की ओर से लगाए जा रहे रोड़ों को लेकर कई बार जि मेदारों के बीच नौंकझोंक ाी हो चुकी है। नर्सिंग कर्मचारियों ने खुद स्वीकार किया है कि प्रबंधन का सहयोगात्मक रवैया नहीं होने के कारण ही खामियों को पूरा नहीं किया जा सका है।