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सीकर के सबसे बड़े कल्याण अस्पताल में व्यवस्थाओं की खुली पोल

हर साल हजारों रुपए खर्च करने के बाद सेवाएं देने में अस्पताल प्रबंधन फिसड्डी साबित हो रहा है।

सीकरMay 06, 2018 / 02:07 pm

vishwanath saini

सीकर. चिकित्सामंत्री के गृह जिले का सबसे बड़े कल्याण अस्पताल में व्यवस्थाओं की पोल शनिवार को कायाकल्प प्रोग्राम के पीयर एसेसमेंट के लिए अस्पताल पहुंची टीम के सामने खुल गई। हर साल हजारों रुपए खर्च करने के बाद सेवाएं देने में अस्पताल प्रबंधन फिसड्डी साबित हो रहा है। चूरू पीएमओ के नेतृत्व में हुए निरीक्षण में अस्पताल में सभी नर्सिंगकर्मी और चिकित्सक ड्रेस कोड में नहीं मिले। जो चिकित्सक या स्टाफ ड्रेस कोड में मिला उन्हे भी निरीक्षण के लिए टीम आने की सूचना थी। अस्पताल में सेनिटेशन और ड्रेनेज अस्पताल परिसर में बने बगीचे और छायादार स्थानों पर पानी व्यवस्था सही नहीं मिली। जबकि अस्पताल प्रबंधन ने खुद की ग्रेडिंग में 62 फीसदी अंक दे रखे हैं। गौरतलब है कि पिछले कई साल से निरीक्षण के दौरान एसके अस्पताल को 70 फीसदी से कम अंक मिले हैं।

 

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यहां हो सकता है सुधार
एसके अस्पताल में बायोमेडिकल वेस्ट को लेकर अव्यवस्थाएं है। अस्पताल परिसर में सेनीटेशन, संक्रमण की रोकथाम की ओर ध्यान नहीं है। नर्सिंगकर्मी और चिकित्सक ड्रेस कोड में नहीं आते हैं। टीम के सदस्यों ने बताया कि एसके अस्पताल प्रबंधन चाहे तो इन व्यवस्थाओं में सुधार कर कायाकल्प पुरस्कार की दौड़ में आ सकता है। जब चूरू व झुंझुनूं जिले में इस प्रकार के पुरस्कार मिल सकते हैं तो एसके अस्पताल को क्यों नहीं है।

 


इस बार भी नहंी मिलेगे 70 फीसदी से ज्यादा
निरीक्षण के दौरान टीम ने एसके अस्पताल परिसर, ट्रोमा वार्ड, रिकार्ड रूम, ब्लड बैंक, लैबोरेट्री का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान टीम का सबसे अधिक ध्यान सेनीटेशन और संक्रमण की रोकथाम की ओर ही था। टीम ने सदस्यों ने बताया कि एससेमेंट का काम चल रहा है। एसेसेमेंट की रिपोर्ट सोमवार को जयपुर भेजी जाएगी। निरीक्षण के दौरान अस्पताल को 70 फीसदी से ज्यादा अंक नहीं मिलेंगे।

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