केंद्रीय औषधि नियंत्रक विभाग ने इस तरह का प्रस्ताव तैयार किया है। जिस पर मुहर लगते ही मेडिकल स्टोर पर बैठे फार्मासिस्ट संबंधित रोगी को वह दवा नहीं दें सकेंगे जो किसी चिकित्सक ने संबंधित रोगी को डेढ़ माह पूर्व परामर्श में लिखी होगी।
जो पर्ची कम से कम डेढ़ महीने पहले किसी चिकित्सक ने रोगी को दवा लेने के लिए लिखी हो। क्योंकि दवाओं के दुरुपयोग को लेकर कई तहर की शिकायतें विभाग के सामने आ चुकी हैं।
इसलिए तय की पर्ची की समय सीमा
लोग चिकित्सक से एक बार दवा लिखवाने के बाद दोबारा उसी तरह की या उससे मिलती जुलती दवाएं मेडिकल स्टोर से खरीद रहे हैं। मरीजों को यह लगता है कि जो दवा चिकित्सक से उसे लिखी है।
वह किसी विशेष तकलीफ होने पर ही दी जाती है। वह दवा अब भी वही फायदा उन्हे पहुंचाएगी। जबकि विशेषज्ञों के अनुसार यह धारणा गलत है और इसलिए पर्ची अवधिपार के लिए समय सीमा को तय किया गया है।